निराशा एक अभिशाप है!
>> Wednesday, November 30, 2016
प्रत्येक व्यक्ति को संघर्षमयी जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए अनेक प्रकार की अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इस क्रम में रात-दिन, धूप-छांव, सर्दी-गर्मी, हानि-लाभ, सुख-दुःख, सफलता-असफलता आदि का संयोग चलता रहता है। लक्ष्य जितना बड़ा होगा विपरीत परिस्थितियां उतनी अधिक होंगी। यह सब उसी प्रकार है जिस प्रकार कमल पाने के लिए कीचड़ में जाना ही पड़ता है। गुलाब को फूल तोड़ते समय कांटों का आघात झेलना ही पड़ता है। प्रायः विपरीत परिस्थितियों के कारण ही निराशा का दामन थाम लेते हैं। लेकिन यह नहीं करना चाहिए क्योंकि सकारात्मक सोच व रचनात्मक दृष्टिकोण कठिनाईओं से मुक्त होने का मार्ग सुझाता है। निराशा से अस्थिरता बढ़ती है और समुचित निर्णय नहीं हो पाता है और असफलताओं का क्रम निरन्तर बना रहता है। यदि आप सदैव सकारात्मक रहते हैं तो आपके विकास, प्रगति और उज्ज्वल भविष्य की रचना में संसार की समस्त बाधाएं गौण हैं। सकारात्मक विचार ही सकारात्मक सोच को जन्म देते हैं, यह सोच कभी निराश नहीं होने देती है। निराशा से मुक्त प्रयास आगे बढ़ने का मार्ग सरल बना देता है। निरन्तर व सकारात्मक प्रयास सफलता को प्रश्रय देता है। वस्तुतः निराशा रूपी अभिशाप से बचने के लिए सदैव अपने आसपास सकारात्मकता को प्रश्रय देना चाहिए जिससे जीवन सफल हो सके।
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