सुख है कहां
>> Friday, May 4, 2018
आज शुक्रवार है और प्रत्येक शुक्रवार को कहानी या कविता की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में जापानी लघु गीत तांका नामक तीन लघु गीत अनुशासन, मृत्यु व सपना सुख है कहां शीर्षक के अन्तर्गत दे रहे हैं। तांका में ५,७,५,७,७ के क्रम में कुल इकतीस अक्ष्ार की पांच पक्तियों होती हैं। आपको यह लघुगीत तांका कैसा लगा कमन्ट बॉक्स में टिप्पणी देकर अवश्य बताएं। धन्यवाद।
अनुशासन
सुख है कहां
अनुशासन जहां
संयमहीन
रखे नहीं व्यवस्था
हालत बने खस्ता
मृत्यु
तन का पंछी
नहीं बजाता बंसी
चेतना लुप्त
जीवन हुआ सुस्त
कुछ न रहा गुप्त
सपना
खुद को जान
आत्मा को पहचान
बढ़ेगी शान
लक्ष्य होगा अपना
पूरा फिर सपना
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