दो तांका(दो जापानी लघुगीत)
>> Friday, August 31, 2018
आज शुक्रवार है और प्रत्येक शुक्रवार को कहानी या कविता की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में जापानी लघु गीत तांका नामक दो लघु गीत संतोष व अपने 'दो तांका' शीर्षक के अन्तर्गत दे रहे हैं। तांका में ५,७,५,७,७ के क्रम में कुल इकतीस अक्ष्ार की पांच पक्तियों होती हैं। आपको यह लघुगीत तांका कैसा लगा कमन्ट बॉक्स में टिप्पणी देकर अवश्य बताएं। धन्यवाद।
संतोष
सदा तरसा
एक जोड़ी जूतों को
जब है देखा
पैर विहीन बंदा
संतोष हुआ जिंदा
अपने
सुन्दर पल
पलकों में सपने
सारे अपने
दूर चाहे जितने
अपने तो अपने
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