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पहचान(जापानी लघुगीत तांका)

>> Friday, September 14, 2018


आज शुक्रवार है और प्रत्‍येक शुक्रवार को कहानी या कविता की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में जापानी लघु गीत तांका पहचान शीर्षक के अन्‍तर्गत दे तीन तांका दे रहे हैं। तांका में ५,७,५,७,७ के क्रम में कुल इकतीस अक्ष्‍ार की पांच पक्तियों होती हैं। आपको यह लघुगीत तांका कैसा लगा कमन्‍ट बॉक्‍स में टिप्‍पणी देकर अवश्‍य बताएं। धन्‍यवाद।

पहचान

विख्‍यात होना
चाहत नहीं बना
यह बहुत
आप पहचानते
सब मुझे जानते

अच्‍छे ने अच्‍छा
बुरे ने बुरा जाना
बहुत माना
चाहत है जितनी
उतना पहचाना

सारे के सारे
बने हैं प्रतिस्‍पर्धी
हार या जीत
हुए सब पराये
नजर नहीं आये


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1 comments:

Unknown October 2, 2018 at 10:15 PM  

thank you sir for help us on your helpful blog

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