सच कहता (लघुगीत तांका)
>> Friday, October 26, 2018
आज शुक्रवार है और प्रत्येक शुक्रवार को कहानी या कविता की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में लघु गीत तांका के अन्तर्गत सच कहता शीर्षक के अन्तर्गत दो तांका दे रहे हैं। तांका में ५,७,५,७,७ के क्रम में कुल इकतीस अक्ष्ार की पांच पक्तियों होती हैं। आपको यह लघुगीत तांका कैसा लगा कमन्ट बॉक्स में टिप्पणी देकर अवश्य बताएं। धन्यवाद।
सच कहता
लोग कहते
इतना क्यूं हंसते
कैसे बताते
अब तो थक चुके
निज दर्द छुपाते
खुश रहता
सबको हूं हंसाता
सच कहता
हूं मैं लापरवाह
फिर भी परवाह
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