भाग्य हम सबका(लघुगीत तांका)
>> Friday, November 9, 2018
आज शुक्रवार है और प्रत्येक शुक्रवार को कहानी या कविता की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में लघु गीत तांका के अन्तर्गत भाग्य हम सबका शीर्षक के अन्तर्गत तीन तांका दे रहे हैं। तांका में ५,७,५,७,७ के क्रम में कुल
इकतीस अक्ष्ार की पांच पक्तियों होती हैं। आपको यह लघुगीत तांका कैसा लगा कमन्ट बॉक्स में टिप्पणी देकर अवश्य बताएं। धन्यवाद।
भाग्य हम सबका
१
याद न आयी
सबने है भुलायी
मेरी कुर्बानी
जल के सारी रात
रोशन की दीवाली
२
मैं जैसे बुझा
खो गयी सारी शान
निर्दयी लोग
कूड़ेदान में डाल
रखते नहीं याद
३
देकर मान
अदब से उठाते
अच्छा लगता
माटी में है मिलना
भाग्य हम सबका
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