स्वभाव ले निखार(लघुगीत तांका)
>> Friday, December 21, 2018
आज शुक्रवार है और प्रत्येक शुक्रवार को कहानी या कविता की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में लघु गीत तांका के अन्तर्गत हे 'स्वभाव ले निखार' शीर्षक के अन्तर्गत पांच तांका दे रहे हैं। तांका में ५,७,५,७,७ के क्रम में कुल इकतीस अक्ष्ार की पांच पक्तियों होती हैं। आपको यह लघुगीत तांका कैसा लगा कमन्ट बॉक्स में टिप्पणी देकर अवश्य बताएं। धन्यवाद।
स्वभाव ले निखार
१
ढूंढना छोड़ो
दूजों में ढेरों दोष
अन्त: में झांको
अपने को जानते
उड़ जाएंगे होश
२
दोष सुधार
स्वभाव ले निखार
हार में जीत
देकर जन-प्यार
सुख बनेगा मीत
३
शुभ हो निष्ठा
निर्मल मन सदा
हित सबका
चाहे जितना करो
अंत भले का भला
४
धन असीम
पर स्वभाव नीम
दूर हैं सारे
हो स्वभाव निर्मल
पास होते हैं सारे
५
श्रद्धा मन की
करूणा भर लाती
प्रेम लुटाती
सबको है जोड़ती
जीवन है मोड़ती
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