जाड़े के दिन(लघुगीत तांका)
>> Friday, December 7, 2018
आज शुक्रवार है और प्रत्येक शुक्रवार को कहानी या कविता की चर्चा करते हैं। आज की वीडियो में लघु गीत तांका के अन्तर्गत हे 'जाड़े के दिन' शीर्षक के अन्तर्गत पांच तांका दे रहे हैं। तांका में ५,७,५,७,७ के क्रम में कुल इकतीस अक्ष्ार की पांच पक्तियों होती हैं। आपको यह लघुगीत तांका कैसा लगा कमन्ट बॉक्स में टिप्पणी देकर अवश्य बताएं। धन्यवाद।
जाड़े के दिन
१
जाड़े के दिन
खूब ठिठुरा तन
ठंडक खाई
छींक पे छींक आई
ओढ़ी फिर रजाई
२
ओढ़ा कंबल
निवाया फिर गात
दूर है ठंड
नींद जमाये डेरा
सपनों ने आ घेरा
३
गुलाबी ठंड
मनभावन जहां
सारे हैं खुश
खिले सबके मुख
पाकर खूब सुख
४
सर्दी क्या आई
मादक हवा छाई
प्रिय का साथ
देता प्रेम की थाप
मेल कराता आप
५
धूप की छाप
तन समाये ताप
खिलता मन
खुश हैं सारे जन
करके दूर ठंड
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