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शरीर को लम्बा करने की यौगिक क्रियाएं -राजीव शंकर माथुर

>> Friday, July 23, 2010


     आज के युग में लम्बे व्यक्ति आकर्षण का केन्द्र स्वतः बन जाते हैं। जिनका कद बढ़ना रुक जाता है, उन्हें हीन दृष्टि से देखा जाता है और ऐसे में इनके मन में हीन भावना स्वतः ही वास कर लेती है। यहां कुछ ऐसी क्रियाएं बताएंगे जोकि 2-4 इंच तक कद बढ़ाने में सक्षम हैं। आवश्यकता है तो नियमित अभ्यास और प्रोटीन से परिपूर्ण भोजन करने की। इन क्रियाओं को करने से पूर्व नित्य कर्म से निवृत्त हो लें। इन्हें खाली पेट प्रातः एवं सायं दोनो समय किया जा सकता है। क्रियाएं करते समय शरीर पर न्यूनतम एवं ढीले वस्त्र होने चाहिएं। हृदय रोगी योग शिक्षक की देखरेख में ही अभ्यास करें। जिनकी हड्डी टूटी हुई है वे अस्थि रोग विशेषज्ञ से परामर्श के बाद ही अभ्यास प्रारम्भ करें।
क्रिया एक
        सर्वप्रथम दोनों पैरों के मध्य 2-2.5 फिट की दूरी बनाते हुए सीधे खड़े हो जाएं। कुहनी से सीधे रखते हुए हाथों को अपने दायें व बायें फैलाते हुए सीधे ऊपर ले जाएं। इस स्थिति में आपकी बांह कानों का स्पर्श करेगी एवं हथेलियां सामने की ओर रहेंगी। अब दोनों हाथों के अंगूठों को एक दूसरे के मध्य फंसाकर कमर को बायीं ओर झुकाएं और धीरे-धीरे सामने की ओर लाएं। अब कमर को दायीं ओर वृत्ताकार झुकाएं। दायीं ओर के पश्चात्‌ सीधी कर लें। इस अर्धवृत्त क्रिया में लगभग 1-2 मिनट लगाएं। अब धीरे-धीरे कमर को यथा सम्भव पीछे की ओर झुकाएं, फिर सीधे हो जाएं और फिर आगे की ओर झुकाते हुए हथेलियों को घुटनो पर टिका दें। अब सामान्य अवस्था में हाथ नीचे रखते हुए आ जाएं। 1-2 मिनट विश्राम करें। इस क्रम को 5 से 15 बार दोहराएं।
क्रिया दो
पैरों की एड़ियां व अंगूठे मिलाते हुए सीधे खड़े हो जायें। अब हाथों को सीधा ऊपर क्रिया एक की तरह उठा लें। धीरे-धीरे निश्वास करते हुए कमर को यथा सम्भव आगे झुकाएं कि सिर घुटनों के निकटस्थ स्थान पर आ जाए और हाथों को भूमि से स्पर्श कराते हुए हथेलियों को जमीन पर टिकाने का प्रयास करें। ध्यान रहे कि घुटने मुड़ने नहीं चाहिएं। अब धीरे-धीरे सांस भरते हुए सीधे हो जाएं। इस क्रिया को पांच से पन्द्रह बार दोहराएं। इस क्रिया को पाद हस्तासन भी कहते हैं। गर्भवती स्त्रियां इसे न करें। अन्य प्रतिबन्ध उपरोक्तानुसार ही समझने चाहिएं।
क्रिया तीन
     दोनों पैरों के मध्य छह इन्च की दूरी बनाकर सीधे खड़े हो जाएं।
हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर सीधे ले जाएं। साथ ही साथ पंजों के बल ऊपर उठते जाएं। उक्त स्थिति में आने में पांच से सात सैकण्ड का समय लगाएं। अब निश्वास करते हुए पैरों को सीधा करें और साथ ही साथ हाथ नीचे करते जाएं। उपरोक्त क्रिया को पांच से पन्द्रह बार दोहराएं। इस क्रिया को ताड़ासन भी कहते हैं।
क्रिया चार
     पीठ के बल सीधे लेट जाएं। अब हाथों के पीछे की ओर कर दें। हथेलियां आसमान की ओर रहें और बाहें कानों से सटी रहेंगी। सथ ही कुहनियां सीधी रखें। पैर एड़ी से उंगलियों तक सटे रहेंगे। अब धीरे-धीरे सांस भरते हुए सिर, हाथों और घुटने सीधे रखते हुए पैरों को यथा सम्भव ऊपर उठाएं। उपरोक्त स्थिति में शरीर नाव का आकार धारण कर लेगा। इसी स्थिति में यथा सम्भव रुकें। अव निश्वास के साथ धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं। ध्यान रखें कि शरीर को झटका न लगे। इस क्रिया को पांच से पन्द्रह बार दोहराएं। इस क्रिया को नौकासन भी कहते हैं। गर्भवती स्त्रियां इसे न करें। अन्य प्रतिबन्ध उपरोक्तानुसार ही समझने चाहिएं।

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