वर्षा ऋतु और रोग -डॉ. राजीव गुप्ता, एम.बी.बी.एस. एम.डी.
>> Wednesday, August 11, 2010
वर्षा ऋतु का आगमन वर्षा लाता है। वर्षा गर्मी से राहत दिलाती है, परन्तु साथ में समस्याएं लेकर भी आती है। बरसात के मौसम में उदर या पेट में विकार के अलावा त्वचा रोग अधिक होते हैं। ये समस्याएं न आएं इसके लिए थोड़ी सावधानी अवश्य रखनी चाहिए। समस्या बढ़ जाए तो तुरन्त अपने चिकित्सक से मिलना चाहिए।
इस मौसम में सर्वाधिक त्वचा रोग होते हैं। फंगस व बैक्टीरियल इंफेक्शन, घमौरियां, रैशेज, फोड़े व फुंसी और मुख पर दाने निकल आते हैं। इनसे बचने के लिए सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। त्वचा संबंधी रोग गन्दगी के कारण होते हैं। इस मौसम में शरीर से पसीना भी अधिक निकलता है। उमस अधिक होने के कारण बैक्टीरिया एवं वायरस अधिक सक्रिय हो जाते हैं।
दिन में दो तीन बार नहाना चाहिए। कॉटन के हल्के कपड़े पहनने चाहिएं जो पसीना अधिक सोखें। क्रीम आदि का प्रयोग कम करना चाहिए। यदि त्वचा चिकनी है तो अनेक बार पानी से मुख धोना चाहिए।
बारिश में भीग जाएं तो घर आकर अवश्य नहाना चाहिए। पैरों या हाथों की अंगुलियों के मध्य की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
पानी अधिक पीना चाहिए। तली भुनी एवं बासी वस्तुएं और बाहर की वस्तुएं नहीं खानी चाहिएं।
बरसात के मौसम में अधिकतर मियादी बुखार हो जाता है। इसमें छींक आना, सिर भारी हो जाना, नाक बहना, आंखों से पानी आना, गले में खराश होना, ठंड लगना व बदन दर्द आदि होते हैं। अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। मौसम के बदलने से गले में इंफैक्शन भी हो जाता है। गले में दर्द रहने लगता है। खराश हो जाती है। इन दिनों में अधिक ठंडे पानी का सेवन कम करना चाहिए।
मौसम के इस बदलाव में खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ठंडी चीजों का सेवन न करें। फिल्टर या उबला पानी पिएं। बाहर या इधर-उधर का गंदा पानी न पिएं।
इस मौसम में खाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए, नहीं तो अपच, डायरिया, दस्त आदि होना आम सी बात है। छिलके वाली दालें, चौकर युक्त आटा व सफाई का विशेष ध्यान रखें। पानी अधिक मात्रा में पिएं।
सफाई का जितना ध्यान रखेंगे एवं अधिक खाना या बाहर के खाने से बचेंगे तो समस्या आएगी ही नहीं। फिर भी यदि रोग आ ही जाता है तो अपने फैमिली डॉक्टर से सलाह लेकर सही चिकित्सा कर सकते हैं। यह ध्यान रखें जरा सी लापहरवाही करके आप बड़े रोग को निमन्त्राण दे देंगे जिससे आपका कष्ट बड़ा हो जाएगा।
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