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सम्पूर्ण शरीर का यौगिक व्यायाम -राजीव शंकर माथुर

>> Friday, August 13, 2010


     सूर्य नमस्कार शारीरिक एवं आत्मिक दृष्टिकोण से सर्वोत्तम यौगिक व्यायाम है। यह सम्पूर्ण शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बारह शारीरिक आसनों की सरल ऋंखला है। समस्त शरीर की मांसपेशियां पुष्ट, सुन्दर एवं क्रियाशील हो जाती हैं। इससे पूर्णतः लाभान्वित होने के लिए 11से 21 बार दोहराना चाहिए। इसको करने के लिए सर्वोत्तम समय सूर्योदय काल है। इसके बारह आसन इस प्रकार हैं-
1. सूर्यनमस्कारासन-सूर्य की ओर मुख करके चित्र एक के अनुसार पैरों की एड़ियों व अंगूठों को परस्पर स्पर्श कराकर सीधे खड़े होकर सूर्य को नमस्कार करें। श्वास सामान्य रखें। ऊं मित्राय नमः। 
2. उर्ध्व सूर्यनमस्कारासन-सूर्य की ओर मुख करके चित्र दो के अनुसार दोनों हाथों को सीधा ऊपर करके हथेलियां सूर्य की ओर रखते हुए कमर को पीछे झुकाएं। हाथ ऊपर ले जाते समय श्वास अन्दर भरें। ऊं  रवये नमः। 
3. सूर्य हस्तपादासन-चित्र तीन के अनुसार श्वास बाहर निकालते हुए कमर को आगे झुकाते हुए हथेलियों को यथासम्भव दोनों पैरों के पास से भूमि को स्पर्श करें। ध्यान रहे घुटने सीधे रखें। ऊं  सूर्याय नमः। 
4. सूर्य अश्वसंचालनासन- चित्र पांच  के अनुसार घुटनों को मोड़ते हुए दोनों हथेलियों का सहारा लेते हुए बायें पैर को पीछे निकालें। ऐसा करते समय घुटना और पंजे का पृष्ठ भाग भूमि पर टिका रहेगा। श्वास अन्दर भरकर रखें। ऊं  भानवे नमः। 
5. सूर्य पर्वतासन-चित्र 5 के अनुसार दाएं पैर के घुटने को सीधा करते हुए और बायें पैर को दायें पैर से सटाकर सांस बाहर निकालते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं। हथेलियां यथासम्भव आगे की ओर सरकाकर सिर के नीचे की ओर झुकाकर भूमि की ओर देखें। ऊं  खगाय नमः।     
6. सूर्य अष्टांग नमस्कारासन-चित्रा 6 के अनुसार हाथ-पैरों को स्थिर रखें। छाती को भूमि पर स्पर्श कराकर ठोडी को भूमि पर टिकाकर दीर्घ श्वास भरें। इस स्थिति में आप अष्टांग की अवस्था में पाएंगे। श्वास को सामान्य रखें। ऊं  पूष्णे नमः।  
7. सूर्य सर्पासन- चित्र 7 के अनुसार कुहनियों को सीधा करते हुए कमर कंधे एवं सिर ऊपर उठाएं। श्वास अन्दर भरते हुए आकाश की ओर दृष्टि रखें। ऊं  हिरण्यगर्भाय नमः। 
8. सूर्य पर्वतासन- चित्र 8 के अनुसार क्रिया पांच की पुनरावृत्ति करें। ऊं  मरीचये नमः।   
9. सूर्य अश्वसंचालनासन-अब चित्र 9 के अनुसार क्रिया चार की पुनरावृत्ति करें। ऊं  आदित्याय नमः। 
10. सूर्य हस्त पादासन-चित्र 10 के अनुसार दायें पैर को  बायें से सटाकर हथेलियों को पैरों के साथ जमीन पर टिकाकर क्रिया संख्या 3 को दोहराएं। ऊं  सवित्रो नमः। 
11. सूर्य उर्ध्व नमस्कारसन-चित्रा 11 के सांस अन्दर भरते हुए हाथों को खोलते हुए कमर यथासम्भव पीछे की ओर ले जाकर क्रिया संख्या 2 की पुनरावृत्ति करें। ऊं  अर्काय नमः। 
12. सूर्य नमस्कारसन-चित्र 12 के अनुसार सांस बाहर निकालते हुए पुनः क्रिया संख्या 1 की पुनरावृत्ति करते हुए नमस्कार की स्थिति में आकर सांस को सामान्य करें। ऊं  भास्कराये नमः। 
इन बारह क्रियाओं को 11 से 21 बार दोहराने पर सूर्य नमस्कार का पूर्ण फल मिलता है।

1 comments:

Udan Tashtari August 13, 2010 at 11:34 PM  

बहुत आभार इस स्वास्थवर्धक जानकारी का.

आगुन्‍तक

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