यह ब्‍लॉग आपके लिए है।

स्‍वागत् है!

आपका इस ब्‍लॉग पर स्‍वागत है! यह ब्‍लॉग ज्‍योतिष, वास्‍तु एवं गूढ वि़द्याओं को समर्पित है। इसमें आपकी रुचि है तो यह आपका अपना ब्‍लॉग है। ज्ञानवर्धन के साथ साथ टिप्‍पणी देना न भूलें, यही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है। आपके विचारों एवं सुझावों का स्‍वागत है।

व्‍यस्‍त

>> Friday, September 3, 2010


अमेरिका के महान समाज सुधारक विलबरफोर्स से उनके एक मित्र ने व्‍यंग्‍य से कहा,'मित्र, आपको संसार की मुक्ति की तो चिन्‍ता लगी रहती है, किन्‍तु कभी आपने अपने बारे में भी सोचा है या नहीं।'
विलबरफोर्स ने मित्र के नहले पर दहला मारते हुए कहा, 'हां, मित्र, सचमुच मैं अपने जीवन में इतना व्‍यस्‍त रहा कि मुझे ज्ञात ही नहीं हो सका कि समाज से अलग 'मैं भी कुछ हूं।'

0 comments:

आगुन्‍तक

  © Blogger templates Palm by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP