अनिश्चय
>> Tuesday, September 7, 2010
अनिश्चय से सदैव बचें। अनिश्चय की स्थिति असफलता को निमन्त्रण देती है। अनिर्णय की स्थिति कुछ करने नहीं देती और अवसर यूं ही आंखों के सामने से फुर हो जाता है। होना तो यह चाहिए कि निर्णय लें और काम में लग जाएं। जब तक आपक निर्णय नहीं लेंगे तो अनिश्चय की स्थिति में रहेंगे। यह सब जानते हैं कि सफलता तभी मिलने की संभावना अधिक होती है जब काम में संलग्न हों। काम ही नहीं करेंगे तो सफलता कैसी। अनिर्णय या अनिश्चय के साथ जिएंगे तो काम करेंगे ही नहीं। सफलता उसके दर तक पहुंचती है जो अनिर्णय की स्थिति में न रहकर उपलब्ध जानकारी के आधार पर तुरन्त निर्णय लेता है और बार-बार निर्णय को बदलता नहीं है। अनिर्णय या अनिश्चय की स्थिति में ही सर्वाधिक समय बर्बाद होता है। अनिर्णय से अच्छा है कि गलत निर्णय ही लें, कम से कम सक्रिय तो रहेंगे, सफलता की ओर अग्रसर तो हो चुके होंगे। अनिश्चयी सैदव असफल होते हैं क्योंकि संसार में सर्वाधिक असफल होने वाले लोग अनिश्चियी ही हैं।
3 comments:
सार्थक और सराहनीय विचार ...
एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे बहुत सारे निर्णय सापेक्ष होते हैं। उनकी सफलता केवल हम पर निर्भर नहीं होती।
गीता में भी कहा गया है - संशयात्मा विनश्यति| अनिर्णय की स्थिति से तो सदैव बचना ही चाहिए|
अम्बरीष कुमार गोपाल
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