यदि आपकी कुण्डली में ऐसा है तो जो वर्जित है उसे कदापि न करें!
>> Friday, October 29, 2010
सर्वप्रथम अपनी कुण्डली का खाका अपने सम्मुख रख लें और फिर उसमें देखें कि अधोलिखित में से कोई स्थिति है या नहीं, यदि है तो जो निर्देश दिया है वह कदापि न करें-
1- शनि पहले भाव में है और गुरु पांचवे भाव में है तो तांबे का कदापि दान न करें।
2- चन्द्रमा चौथे भाव में और गुरु दसवें भाव में है तो मन्दिर या पूजा स्थल कदापि न बनवाएं। यदि बनवाएंगे तो झूठे आरोप में दण्ड के भागी होंगे।
3- शुक्र नौवें भाव में हो तो अनाथ बच्चों को गोद न लें और न अपने पास रखें। ऐसा करेंगे तो अपना अहित करेंगे।
4- गुरु सातवें भाव में हो तो किसी को कपड़े दान मं न दें अन्यथा अपने कपड़े गवां बैठेंगे।
5- शनि आठवें भाव में हो तो धर्मशाला, सराय, यात्री निवास न बनवाएं। यदि ऐसा करेंगे तो घर बिक जाएगा और निर्धन हो जाएंगे।
6- चन्द्र छठे भाव में हो तो पानी या दूध का दान न करें वरना कुटुम्ब में हानि निरन्तर होती रहेगी।
7- चन्द्र बारहवें भाव में हो तो साधु को निशुल्क भोजन न कराएं, बच्चों को निशुल्क शिक्षा न दिलाएं या स्कूल या पाठशाला न खोलें वरना आजीवन कष्ट पाएंगे।
8- नौवें भाव में जो राशि हो, उसके स्वामी ग्रह की उपासना करने से हर प्रकार से लाभ होता है। प्रत्येक ग्रह के देवता इस प्रकार हैं-
-सूर्य के लिए विष्णु की उपासना करें।
-चन्द्र के लिए शिव की उपासना करें।
-मंगल के लिए हनुमान की उपासना करें।
-बुध के लिए दुर्गा की उपासना करें।
-गुरु के लिए ब्रह्मा की उपासना करें।
-शुक्र के लिए लक्ष्मी की उपासना करें।
-शनि के लिए भैरों की उपासना करें।
-राहु के लिए सरस्वती की उपासना करें।
-केतु के लिए गणेश की उपासना करें।
नौवें भाव के सूर्यादि सात ग्रह ही स्वामी होंगे। इसलिए सात वारों के सात ग्रह में से कोई एक इष्टदेव होगा उसकी उपासना कर सकते हैं।
1- शनि पहले भाव में है और गुरु पांचवे भाव में है तो तांबे का कदापि दान न करें।
2- चन्द्रमा चौथे भाव में और गुरु दसवें भाव में है तो मन्दिर या पूजा स्थल कदापि न बनवाएं। यदि बनवाएंगे तो झूठे आरोप में दण्ड के भागी होंगे।
3- शुक्र नौवें भाव में हो तो अनाथ बच्चों को गोद न लें और न अपने पास रखें। ऐसा करेंगे तो अपना अहित करेंगे।
4- गुरु सातवें भाव में हो तो किसी को कपड़े दान मं न दें अन्यथा अपने कपड़े गवां बैठेंगे।
5- शनि आठवें भाव में हो तो धर्मशाला, सराय, यात्री निवास न बनवाएं। यदि ऐसा करेंगे तो घर बिक जाएगा और निर्धन हो जाएंगे।
6- चन्द्र छठे भाव में हो तो पानी या दूध का दान न करें वरना कुटुम्ब में हानि निरन्तर होती रहेगी।
7- चन्द्र बारहवें भाव में हो तो साधु को निशुल्क भोजन न कराएं, बच्चों को निशुल्क शिक्षा न दिलाएं या स्कूल या पाठशाला न खोलें वरना आजीवन कष्ट पाएंगे।
8- नौवें भाव में जो राशि हो, उसके स्वामी ग्रह की उपासना करने से हर प्रकार से लाभ होता है। प्रत्येक ग्रह के देवता इस प्रकार हैं-
-सूर्य के लिए विष्णु की उपासना करें।
-चन्द्र के लिए शिव की उपासना करें।
-मंगल के लिए हनुमान की उपासना करें।
-बुध के लिए दुर्गा की उपासना करें।
-गुरु के लिए ब्रह्मा की उपासना करें।
-शुक्र के लिए लक्ष्मी की उपासना करें।
-शनि के लिए भैरों की उपासना करें।
-राहु के लिए सरस्वती की उपासना करें।
-केतु के लिए गणेश की उपासना करें।
नौवें भाव के सूर्यादि सात ग्रह ही स्वामी होंगे। इसलिए सात वारों के सात ग्रह में से कोई एक इष्टदेव होगा उसकी उपासना कर सकते हैं।
राहु एवं केतु छाया ग्रह हैं, इनकी उपासना न करें और यदि करें तो किसी योग्य दैवज्ञ से सलाह ले लें, क्योंकि ये कुप्रभाव शीघ्र देते हैं।
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