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शिक्षा और धन एकसाथ नहीं रहते हैं!

>> Saturday, November 13, 2010


लक्ष्‍मी(धन) और सरस्‍वती(शिक्षा) एक साथ नहीं रहते हैं क्‍योंकि इनमें परस्‍पर शत्रुता हैा इसी तथ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए कहा गया है कि शिक्षा औश्र धन एक साथ नहीं रहते हैं। दूसरे शब्‍दों में यह कह सकते हैं कि यह आवश्‍यक नहीं है कि जिसके पास धन है उसके पास शिक्षा हो और जिसके पास शिक्षा है उसके पास धन हो। लेकिन यह श‍तप्रतिशत सही नहीं है।
    व्‍यवहार में यही अनुभूत होता है कि शिक्षा पहले आती है और धन उसके पीछे। अधिकांश जन इस तथ्‍य को सत्‍य सिद्ध करते हुए सभी सुख-सुविधाओं को शिक्षा प्राप्‍त करने के उपरान्‍त भोग रहे हैं। यदि किसी के पास अपनी कुण्‍डली है और उसमें निम्‍नलिखित योग दृष्टिगोचर हो रहे हैं तो आप यह कह सकते हैं कि इस व्‍यक्ति के पास शिक्षा और धन दोनों होंगे-
    - दूसरे और ग्‍याहरवें भाव के स्‍वामी का सम्‍बन्‍ध दसवें भाव से हो।
    - आठवें भाव का स्‍वामी दसवें भाव में न हो।
    - दसवें भाव का स्‍वामी नीच, अस्‍त या पापग्रहों के मध्‍य न हो।
    - पहले भाव के स्‍वामी और दूसरे भाव के स्‍वामी की युति हो।
    - दूसरे भाव के स्‍वामी और पांचवे भाव के स्‍वामी की युति हो।
    - पहले भाव का स्‍वामी 1, 4, 7 या 10वें भाव में हो और चौथे भाव का स्‍वमी 5 या 9वें भाव में हो।
    - पहले भाव के स्‍वामी और दसवें भाव के स्‍वामी की युति 5 या 9वें भाव में हो।
    - बुध छठे, आठवें व बारहवें न हो।   
    - पांचवे भाव में बुध की दृष्टि हो या पांचवे भाव का स्‍वामी व छठे भाव के स्‍वामी की युति हो या परस्‍पर स्‍थान परिवर्तन हो।
    - दूसरे भाव का स्‍वामी उच्‍च का हो या स्‍वराशि का होकर शुभग्रह के साथ युति करे और उस पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि न पड़े।
    - बुध, शुक्र व गुरु 1, 4, 7, 10 या 5, 9 में स्थित हों।

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