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क्या हमें, बच्चों को या पशु-पक्षियों को पूर्वाभास हो जाता है?

>> Friday, January 14, 2011


क्या हमें, बच्चों को या पशु-पक्षियों को पूर्वाभास हो जाता है? भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्व में ज्ञान हो जाना ही पूर्वाभास है। कुछ लोगों को अपनी मृत्यु से पूर्व ही ऐसा लगने लगता है कि मेरी मृत्यु समीप है। इसी को पूर्वाभास कहते हैं। कुछ लोग पूर्वाभास को दैवीय संकेत कहते हैं। पूर्वाभास स्वप्न में ही प्राप्त होते हैं। पूर्वाभास होने पर द्विविधा की स्थिति रहती है और सहसा उस पर विश्वास नहीं होता है। विज्ञान भी इनका रहस्य नहीं खोल पाया है। कुछ विद्वान के अनुसार ऐसे आभास पूर्वजन्म की देन हैं।  मनुष्य अपनी पांचों ज्ञानेन्द्रियों नेत्र, कान, नाक, जीभ एवं त्वचा से ही रूप, श्रवण, गंध, स्वाद एवं स्पर्श का भान करता है।  लेकिन पूर्वाभास में इनकी कोई भूमिका नहीं होती है।
पूर्वाभास जो स्वयं से प्राप्त होता है। अधिकांश व्यक्तियों को इसी प्रकार का पूर्वाभास निज परिवेश, किसी सुदूर स्थान, घटना या व्यक्ति के विषय में प्राप्त होता है। ऐसे पूर्वाभास में व्यक्ति का प्राप्त विषय या स्थिति से कोई पूर्व सम्बन्ध नहीं होता है। ऐसा पूर्वाभास पाने वाला साधारण या विशिष्ट कोई भी व्यक्ति हो सकता है। निश्चित पूर्वाभास तब प्राप्त होता है जब पूर्वाभास पाने वाले से उसका पूर्व का सम्बन्ध होता है। पूर्वाभास सभी को कभी न कभी अवश्य होता है। 
पूर्वाभास पशु-पक्षियों को होता है। पशु-पक्षियों का पूर्वाभास आज भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य और खोज का विषय बना हुआ है। तान्त्रिकों एवं ज्योतिषों को इसका ज्ञान होता है। शकुन विचार एक पूरा शास्त्र है। इसमें छिपकली का गिरना, कौवे का कांव-कांव करना, कुत्ते का रोना, उल्लू का बोलना, बिल्ली का रास्ता काटना, कार्य प्रारम्भ करने या यात्रा से पूर्व किसी का छींकना।
वातावरण में ऐसा क्या होने लगता है जो पशु-पक्षियों को पूर्वाभास हो जाता है। आंधी, पानी या तूफान का पूर्वाभास पाकर आकाश में ऊंचे उड़ते पंछी और मंडराती चीलें नीचे उतरने लगती हैं। उनको किसी चेतावनी देने की आवश्यकता नहीं है। वे हवा की गंध या वातावरण में किसी परिवर्तन से वे पूर्वानुमान लगा लेते हैं। 
नाना प्रकार के कार्य करते समय मनुष्य के शरीर से सकारात्मक एवं नकारात्मक ऊर्जा तरंग रूप में प्रसारित होती है। मन में उत्पन्न शुभाशुभ विचारों के कारण ही ऐसा होता है। अनुभवी ज्ञानीजन इस ऊर्जा को अनुभूत करके मन की बात बता देते हैं। 
पशु-पक्षी भी इन्हीं तरंगों से पूर्वानुमान लगा लेते हैं। मान लो कोई चोर घर में चोरी करने की सोच के घुसा तो उस समय उसके शरीर से प्रसारित नकारात्मक तरंगे घर के पालतु पशु-पक्षियों कुत्ता, तोता आदि से टकराती हैं तो वे महसूस कर लेते हैं और वे भौंककर या किसी अन्य प्रकार से स्वामी को संकेत देकर जगा देते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि कोई भी घटना घटित होने से पूर्व पशु-पक्षी जो विशेष क्रिया करते हैं, अनुभवी व्यक्ति उससे लाभ उठाता है। ज्वालामुखी फटने से पूर्व आसपास के पक्षी वहां से उड़ जाते हैं। पशु-पक्षियों को कैसे ज्ञात हो जाता है कि भूकम्प आने वाला है, ज्वालामुखी फटने वाला है, बिजली गिरने वाली है। इसका आभास वे अपनी अन्तर्दृष्टि से करते हैं। 
हिचकी लगातार आने पर या धचका लग जाने पर लोग कह उठते हैं कि अरे कोई याद कर रहा है या कोई आने वाला है। खाना खाते समय जीभ दांतों में आ जाए तो कहते हैं कि लगता है कोई गाली दे रहा है या नाराज है। पुरुष की दायीं और स्त्री की बायीं हथेली खुजलाने लगे तो लोग कह उठते हैं, लगता है आज धन मिलने वाला है। बाद में यह सब सत्य भी हो जाता है। बच्चों को भी पूर्वाभास होता है, यह भी सच है। एक बार मोनिका अपनी मम्मी के साथ बाजार जा रही थी। रास्ते में एकाएक वह रुक गयी और आकाश में देखते हुए बोली-देखो मम्मी! वो दादी ऊपर जा रही है। मां ने उसे डांट-डपट कर चुपकर दिया। लेकिन वास्तव में तीसरे दिन उसकी दादी स्वर्ग सिधार गयी। यहां मोनिका को अपनी दादी की मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था। यह सच है कि कभी-कभी हमें कुछ बातों का स्वप्न या किसी अन्य प्रकार से पूर्वाभास हो जाता है कि ऐसा होने वाला है और वास्तव में वह बाद में सच हो जाता है। शायद सृष्टि रचयिता ऐसा करता है। यह शोध का विषय है और इस पर शोध अभी जारी है। 

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