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रूद्राक्ष कैसे धारण करें?

>> Wednesday, March 9, 2011


           
    रूद्राक्ष कैसे धारण करें? इस प्रश्‍न को पाठकों ने पूछा तो इस प्रश्‍न का उत्तर इस लेख में दे रहे हैं।    चौदह प्रकार के रूद्राक्ष होते हैं जो इस प्रकार है-एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव और ग्रह सूर्य, द्विमुखी श्री गौरी-शंकर और ग्रह चन्‍द्र, त्रिमुखी तेजोमय अग्नि और ग्रह मंगल, चतुर्थमुखी श्री पंचदेव और ग्रह बुध, पंचमुखी शिव और ग्रह गुरु, षष्ठमुखी भगवान कार्तिकेय और ग्रह शुक्र, सप्तमुखी प्रभु अनंत और ग्रह शनि, अष्टमुखी भगवान श्री गेणश और ग्रह राहु, नवममुखी भगवती देवी दुर्गा और ग्रह केतु, दसमुखी श्री हरि विष्णु व भगवान् महावीर, ग्‍यारहमुखी इन्‍द्र, बारहमुखी भगवान् विष्‍णु, तेरहमुखी श्री इंद्र तथा चौदहमुखी स्वयं हनुमानजी का रूप माना जाता है। इसके अलावा श्री गणेश व गौरी-शंकर नाम के रुद्राक्ष भी होते हैं।
    एकमुखी रुद्राक्ष-ऐसा रुद्राक्ष जिसमें एक ही आँख अथवा बिंदी हो। स्वयं शिव का स्वरूप है जो सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करता है। द्विमुखी रुद्राक्ष-सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करता है। त्रिमुखी रुद्राक्ष-ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है। चतुर्थमुखी रुद्राक्ष-धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है। पंचमुखी रुद्राक्ष-सुख प्रदान करने वाला। षष्ठमुखी रुद्राक्ष-पापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता होता है। सप्तमुखी रुद्राक्ष-दरिद्रता को दूर करने वाला होता है। अष्टमुखी रुद्राक्ष-आयु एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। नौमुखी रुद्राक्ष-मृत्यु के डर से मुक्त करने वाला होता है। दसमुखी रुद्राक्ष-शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष-विजय दिलाने वाला, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाला होता है। बारह मुखी रुद्राक्ष-धन प्राप्ति कराता है। तेरह मुखी रुद्राक्ष-शुभ व लाभ प्रदान कराने वाला होता है। चौदह मुखी रुद्राक्ष-संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है।
    कभी कभी बहुत आम समस्याओं के हल बहुत आसानी से मिल जाते हैं। यदि अनिश्चितता महसूस करना, मन का बरबस उचाट हो जाना, मानसिक दबाव (डिप्रेशन) का शिकार रहना, एकाग्रता की कमी होना आदि आपकी समस्‍या है तो पांच मुखी रुद्राक्ष पहनने से लाभ होता है। 5 मुखी रुद्राक्ष आसानी से मिल जाता है और सस्ता है। धारण करने हेतु रुद्राक्ष को काले धागे मे पिरो लें या चाँदी की तार पिरो कर लॉकेट बनवा लें। इसे गले में अपने दिल के पास कांख तक लटकता हुआ पहनें और सदैव त्‍वचा को छूता रहना चाहिए। यदि आप गृहस्‍थी हैं या विवाहित हैं तो रात्रि में उतारें और प्रात: फिर से पहनें।
    प्रत्‍येक मुख के रूद्राक्ष को शुक्‍लपक्ष के सोमवार को ऊं नम: शिवाय मन्‍त्र की एक माला पढ़कर पहनना चाहिए या अधोलिखित मन्‍त्र को मुखानुसार पढ़कर धारण करना चाहिए-
    एक मुख का मन्‍त्र-ऊं ह्रीं नम:, दो मुख का मन्‍त्र-ऊं नम: या ऊं श्रीं नम:, तीन मुख का मन्‍त्र-ऊं क्‍लीं नम:, चार मुखी-ऊं ह्रीं नम:, पांच मुखी का मन्‍त्र-ऊं ह्रीं नम:, छह मुखी का मन्‍त्र-ऊं ह्रीं हूं नम:, सात मुखी का मन्‍त्र-ऊं हूं नम:, आठ मुखी का मन्‍त्र-ऊं हूं नम:, नौमुखी का मन्‍त्र-ऊं ह्रीं नम:, दस मुखी का मन्‍त्र-ऊं ह्रीं नम:, एकादश मुखी का मन्‍त्र-ऊं ह्रीं हूं नम:, द्वादश मुखी का मन्‍त्र-ऊं हूं ह्रीं नम:, तेरह मुखी का मन्‍त्र-ऊं ह्रीं नम: नम:, चौदह मुखी का मन्‍त्र-ऊं नम:, गणेश रुद्राक्ष का मन्‍त्र-ऊं नम: शिवाय, गौरी शंकर रुद्राक्ष का मन्‍त्र-ऊं गौरी शंकराये नम:।

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