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फलित, रत्‍न चयन एवं उपाय निर्धारण में अवश्‍य ध्‍यान रखें!

>> Thursday, March 10, 2011


           
  
    फलित में, रत्‍न चयन एवं उपाय निर्धारण करते समय ग्रहों की मूल प्रवृत्ति एवं यहां वर्णित तथ्‍यों को ध्‍यान में रखकर करेंगे तो अधिक अचूक फल मिलेगा। ग्रहों का बल, प्रवृत्ति, स्थिति, द़ृष्टि और सम्‍यक स्थिति पर विचार करते हुए फलित, रत्‍न चयन, उपाय का निर्धारण करेंगे तो सही उपाय एवं सटीक फल कर सकेंगे। इसके लिए नीचे लिखे तथ्‍यों को स्‍मरण रखना चाहिए-
    नैसर्गिक रूप में ग्रहों को इस प्रकार बली कहा गया है और कौन सा ग्रह किसका दोष शमन करता है साथ में यह भी बता रहे हैं-सूर्य सबसे बली 60 कला है और राहु, बुध, शनि, मंगल, शुक्र, गुरु और चन्द्र का दोष शमन करता है। चन्द्र उससे कम बली 51.43 कला  है और राहु, बुध, शनि, मंगल, शुक्र और गुरु का दोष शमन करता है। शुक्र उससे कम बली 42.85 कला है और राहु, बुध, शनि और मंगल का दोष शमन करता है। गुरु उससे कम बली 34.28 कला  है और राहु, बुध, शनि, मंगल और शुक्र का दोष शमन करता है। बुध उससे कम बली  25.7 कला है और राहु का दोष शमन करता है। मंगल उससे कम बली 17.14 कला  है और राहु, बुध और शनि का दोष शमन करता है। शनि सबसे कम बली 8.57 कला है और राहु और बुध का दोष शमन करता है।
    वस्‍तुत: यह जान लें कि किस ग्रह का दोष कौन ग्रह शमन करता है। उपाय का निर्णय करते समय या रत्‍न चयन करते समय इस बात या तथ्‍य का ध्‍यान रखना चाहिए।
    - राहु का दोष बुध शमन करता है।
    - राहु और बुध का दोष शनि शमन करता है।
    - राहु, बुध और शनि का दोष मंगल शमन करता है।
    - राहु, बुध, शनि और मंगल का दोष शुक्र शमन करता है।
    - राहु, बुध, शनि, मंगल और शुक्र का दोष गुरु शमन करता है।
    - राहु, बुध, शनि, मंगल, शुक्र और गुरु का दोष चन्द्र शमन करता है।
    - राहु, बुध, शनि, मंगल, शुक्र, गुरु और चन्द्र का दोष सूर्य शमन करता है।
    यह भी जान लें कि किस ग्रह के साथ किस ग्रह का बल बढ़ता है ?
    - सूर्य के साथ शनि का बल बढ़ता है।
    - चन्द्र के साथ शुक्र का बल बढ़ता है।
    - मंगल के साथ बुध का बल बढ़ता है।
    - बुध के साथ चन्द्र का बल बढ़ता है।
    - गुरु के साथ चन्द्र का बल बढ़ता है।
    - शुक्र के साथ बुध का बल बढ़ता है।
    - शनि के साथ मंगल का बल बढ़ता है।
    यह भी ध्‍यान रखें कि ग्रह किस भाव में अरिष्ट कारक या विफल होते हैं ? मंगल दूसरे भाव में, बुध चतुर्थ भाव में, गुरु पंचम भाव में, शुक्र छठे भाव में, शनि सातवें भाव में, अरिष्टकारक या विफल होते हैं। चन्द्रमा सूर्य के साथ विफल रहता है। शनि अष्टम भाव में मनोकांक्षा पूर्ण करता है। राहु-केतु तृतीय, छठे व एकादश भाव में अरिष्ट का नाश करता है।
    ग्रहों का भाग्योदय काल भी फलित या उपाय का निर्धारण करते समय ध्‍यान में रखना चाहिए। ग्रहों का भाग्योदय काल अग्र प्रकार समझना चाहिए- 1.सूर्य-22 से 24 वर्ष तक। 2.चन्द्र-24 से 25 वर्ष तक। 3.मंगल-28 से 32 वर्ष तक। 4.बुध-32 से 36 वर्ष तक। 5.गुरु-16 से 22 वर्ष तक। 6.शुक्र-25 से 28 वर्ष तक। 7.शनि-42 से 48 वर्ष तक। 8.राहु-42 से 48 वर्ष तक। 9.केतु-48 से 54 वर्ष तक।
    

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