रोग नाशक अनुभूत प्रयोग
>> Saturday, April 9, 2011
आश्विन मास की त्रयोदशी को नित्य कर्म से निपट कर सात्विक भाव से कुशासन पर बैठकर गोघृत का दीपक जलाकर नीचे लिखे मन्त्र का 128000 बार जाप करें-अच्युताय नमः अनन्ताय नमः गोविन्दाय नमः।
यदि एक दिन में मन्त्र पूर्ण न हो तो दूसरे दिन निराहार रहकर मात्र गाय का दूध पीकर पूरा करें। इससे मन्त्र सिद्ध हो जाएगा और दशांश का इस मन्त्र से हवन करें। बाद में रोगी व्यक्ति के शरीर का स्पर्श करते हुए इस मन्त्र का जाप करेंगे तो रोगी व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ होगा।
भगवान् धन्वन्तरि का कथन है कि अच्युतानन्त गोविन्द नामोच्चारण-भेषजात्। नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम्। अर्थात् अच्युत, अनन्त और गोविन्द के नामों का मन में जाप करने से सम्पूर्ण रोगों का नाश हो जाता है, इसमें सन्देह नहीं है।
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