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लोकप्रियता ही सच्‍ची सफलता है!

>> Monday, April 11, 2011


                       
    गुण, कर्म एवं स्‍वभाव की श्रेष्‍ठता से जीवन में सच्‍ची लो‍कप्रियता मिलती है। धन एवं शक्ति सम्‍पन्‍न होते हुए भी यदि आपमें गुण, कर्म एवं स्‍वभाव की श्रेष्‍ठता नहीं है तो आप सच्‍ची लोकप्रियता नहीं पा सकते हैं। गुणवान् का आदर सभी करते हैं। क्‍या निर्धन क्‍या धनी गुणी का सभी आदर करते हैं, उसका आदर उसके आन्‍तरिक गुणों के कारण ही होता है। शोक के समय किसी को दिया हुआ सांत्‍वना का एक शब्‍द आर्थिक सहायता से अधिक सन्‍तोषप्रद होता है।
    सहानुभूति, संवेदना, सहयोग एवं सेवा का गुण व्‍यक्ति को वह लोकप्रियता दिला देता हो जो बहुत सा धन खर्च करके भी नहीं मिलती। कोई भी वास्‍तविक गुणों का विकास कर लेता है तो वह आसानी से अधिक लोकप्रियता पा सकता है। एक बार एक निर्धन राजा बन गया तो उससे उसके मित्र ने पूछा कि तुम्‍हारे पास तो धन था नहीं फिर कैसे राजा बन गए। उसका मित्र उसकी बात सुनकर मुस्‍कराया और बोला यह जान लो‍ कि मित्रों के प्रति मेरा सच्‍चा प्रेम, शत्रु के प्रति उदारता और सबके प्रति मेरा सद्भाव ने मुझे राजा बनाया।
    आप सदाचारी हैं और सुकर्मरत हैं तो आपका आचरण ही आपको लोकप्रिय बना देगा। सब आपका विश्‍वास करेंगे और आदर की दृष्टि से देखेंगे और हर जगह उसकी चर्चा करेंगे।
    आपका स्‍वभाव मधुर है, क्रोध नहीं करते हैं और यदि करते हैं तो सन्‍तुलित रहते हैं, छोटे-बड़े सभी से समान व्‍यवहार रखते हैं, दूसरों के दोष नहीं निकालते हैं, दूजों के गुणों की प्रशंसा करते हैं, दूजों के दु:ख में दु:खी और सुख में पुलकित होते हैं तो आप अपने स्‍वभाव वश सरलता से लोकप्रिय हो सकते हैं। 
    जीवन में सफलता धन और वैभव से नहीं होती है। सफलता इस बात पर निर्भर है कि आप ने अपने आचरण से कितने लोगों का विश्‍वास और हृदय जीता। ऐसी लोकप्रियता ही सच्‍ची सफलता है। धन और वैभव तो स्‍वत: पीछे-पीछे चला आता है।

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