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शयनकक्ष और सकारात्‍मक ऊर्जा(भाग-3)

>> Monday, June 20, 2011


    शयनकक्ष में सोते समय सकारात्मक ऊर्जा कैसे पाएं लेख प्रकाशित किया गया तो इस लेख को पढ़ने के उपरान्त कई फोन अपनी समस्याओं को लेकर आए। उनको सुनकर और उनकी समस्याओं के समाधान के समय जो उत्तर दिए गए वे अन्य पाठकों के उपयोगार्थ दे रहे हैं। जो पूर्व लेख को नहीं पढ़ सके हैं वे भी इससे लाभ उठा सकेंगे।
    गहन निद्रा या अच्छी नींद के बिना स्वास्थ्य संभव नहीं है। स्वास्थ्य का मूल आधार नींद है। आप अपने शयनकक्ष को सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण बना लेंगे तो नींद आपको अच्छी आएगी।
    पंडित जी बहुत कोशिशों के बाद भी नींद नहीं आती है। करवटें बदलने में ही रात गुजर जाती है, कभी कभी नींद की गोली लेनी पड़ती है या ड्रिंक करनी पड़ती है। जिस बैड पर मैं सोता हूं उसके सामने द्वार है और मेरे पैर द्वार के मध्य में आते हैं। क्या यह उचित है या इसी कारण मुझे नींद नहीं आती है। आप बताएं ऐसा मैं क्या करूं जो मुझे नींद आ जाए?
    यह अनुचित है। सर्वप्रथम द्वार के मध्य में सोते समय पैर नहीं आने चाहिएं। ऐसा होने पर शरीर की प्राण ऊर्जा का क्षय होता है जिस कारण शरीर भली-भांति सो नहीं पाता है। अपना पलंग इस प्रकार बिछाएं कि द्वार के मध्य में पैर न आएं। इसी प्रकार सिर भी सोते समय द्वार के मध्य में नहीं आना चाहिए। यदि ऐसा होगा तो मन में अज्ञात भय व्याप्त हो जाएगा, मन में अनेक शंकाएं आने लगेंगी। सोते समय पैर और सिर द्वार के मध्य नहीं होने चाहिएं। सिर सदैव दक्षिण की ओर करके सोना चाहिए। सोने से पूर्व पैर धोकर सोएं। फिर भी नींद नहीं आती है तो सिरहाने पानी रखकर सोएं और अगले दिन प्रातः उस जल को मुख्य द्वार के दोनों ओर आधा दायीं ओर एवं आधा बायीं ओर जल को बिखेर दें।
    पंडित जी पहले तो मुझे नींद बढ़िया आती थी और कोई होश नहीं रहता था। पत्नी भी यह कहती थी सारी रात खर्राटे लेते रहते हो और इस आवाज में मुझे नींद भी नहीं आती है। लेकिन अब मेरी समस्या ये हैं कि पहले मैं सोता था पत्नी नहीं सो पाती थी। पर अब हम दोनों ही नहीं सो पाते हैं। ऐसा तब से हुआ है जब से हमने अपने शयन कक्ष में पीओपी कराई है। पीओपी का डिजाईन ऐसा है कि उसकी ओर देखो तो ऐसा लगता है कि सीने पर से बीम जा रहा हो। शायद इसी परिवर्तन के कारण तो नींद नहीं आ रही है हम दोनों को। आप ही बताएं हम क्या करें?
    आप सही सोच रहे हैं। ऐसा पीओपी के डिजाइन के कारण है। या तो पलंग आगे कर लें जिससे उसका डिजाइन बीम का आभास न दे। या उस डिजाइन में परिवर्तन करा लें। या अपने सोने की दिशा बदल दें जिससे वह डिजाइन नुमा बीम आपके सीने पर से न गुजरे। ऐसा करने से अवश्य नींद आने लगेगी। शयन कक्ष में सोते समय बीम ऊपर से गुजर रहा हो तो अर्धनिद्रा और सदैव चिन्ता रहेगी, करवटें बदलनी पड़ेगी, सिरदर्द रहेगा, मन में अज्ञात भय या चिन्ता व्याप्त हो जाएगी।
    पंडित जी हमारे शयनकक्ष में टीवी है और वह रात्रि बारह बजे से पूर्व बन्द ही नहीं होता है। इस कारण हम सो ही नहीं पाते हैं। क्या शयनकक्ष में टीवी होना चाहिए, हमे सही बात बताएं।
    नहीं यह ठीक नहीं है, सही मायने में शयनकक्ष में टीवी नहीं होना चाहिए। टीवी हमेशा लीविंग रूम या ड्राईंग रूम में ही होना चाहिए। शयनकक्ष सोने के लिए होता है। इसका उपयोग सोने के लिए ही करें।
    पंडित जी हमारी पत्नी ने घर में पेन्ट कराया है और शयनकक्ष में लाल रंग करा दिया है। जब से यह हुआ है नींद ही नहीं आती है और हर समय सिरदर्द ओर गुस्सा रहता है। बेबात में दोनों में तकरार हो जाती है। आप बताएं हम क्या करें?
    शयनकक्ष के लिए हल्का आसमानी, हल्का हरा या सफेद रंग उपयुक्त है।  लाल रंग अग्नि प्रधान है, इस रंग से आपकी शरीर की ऊर्जा का क्षय हो रहा है। जिस कारण आपको बेचैनी एवं सिरदर्द होता है और गुस्सा भी आता है। शयनकक्ष का रंग बदलवा लें। अपना सिर दक्षिण में करके सोएं या पीले, नीले या हरे रंग का बल्ब जला कर रखें नींद आ जाएगी और क्रोध भी नहीं आएगा।



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