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शयनकक्ष और सकारात्‍मक ऊर्जा(भाग-2)

>> Sunday, June 19, 2011


   
    शयनकक्ष में सोते समय सकारात्मक ऊर्जा कैसे पाएं लेख प्रकाशित किया गया तो इस लेख को पढ़ने के उपरान्त कई फोन अपनी समस्याओं को लेकर आए। उनको सुनकर और उनकी समस्याओं के समाधान के समय जो उत्तर दिए गए वे अन्य पाठकों के उपयोगार्थ दे रहे हैं। जो पूर्व लेख को नहीं पढ़ सके हैं वे भी इससे लाभ उठा सकेंगे।
    गहन निद्रा या अच्छी नींद के बिना स्वास्थ्य संभव नहीं है। स्वास्थ्य का मूल आधार नींद है। आप अपने शयनकक्ष को सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण बना लेंगे तो नींद आपको अच्छी आएगी।
    पंडित जी जब मैं अपनी पत्नी के संग सोता हूं तो मेरे पैर उसके मुख के पास और उसके पैर मेरे मुख के पास होते हैं, क्या यह ठीक हैं?
    यह अनुचित है। पलंग पर दो लोग सो रहे हैं तो इस तरह न सोएं कि दोनों के सिर विपरीत दिशा में हों अर्थात्‌ एक का सिर दक्षिण में है तो दूसरे का सिर उत्तर में! यानि एक के पैर दूसरे के मुख के पास आएं! ऐसा करके सोने पर जीवन में दुर्भाग्य एवं नकारात्मकता की वृद्धि होती है!  कोई भी कार्य नहीं बनता है और जीवन में हर क्षेत्र में असफलता और विलम्ब आता है।
    पंडित जी सोते समय हमारे पलंग के बीचों बीच में से एक बीम है! हम पति-पत्नी उसके नीचे सोते हैं! नींद भी अच्छी नहीं आती है और करवटें बदलते रहते हैं, क्या करें?
    यदि ऐसा है तो नींद आएगी ही नहीं। आएगी तो अर्धनिद्रा, सदैव चिन्ता रहेगी, करवटें बदलनी पड़ेगी, सिरदर्द रहेगा, मन में अज्ञात भय या चिन्ता व्याप्त हो जाएगी। यदि वहीं पर पलंग बिछाना आवश्यक नहीं है तो बीम बचाकर बिछा लें और जगह नहीं है और वहीं बिछाना आवश्यक है तो आपको फाल्स सीलिंग कराकर बीम को छिपा लेना चाहिए! तब आपकी सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी और नींद भी ठीेक आएगी।
    पंडित जी हमारे शयनकक्ष में ईशान में अलमिरा रखी हैं और दक्षिण व पश्चिम दिशा खाली है। क्या यह ठीक है?
    नहीं यह ठीक नहीं है, आपको ईशान खाली कर लेना चाहिए और दक्षिण व पश्चिम दिशा में भार बढ़ा लेना चाहिए। यदि ऐस नहीं करेंगे तो सदैव चिन्ता और समस्या संग जीवन जिएंगे व तनाव के कारण नींद भी भरपूर नहीं आएगी।
    पंडित जी हमारे शयनकक्ष में दक्षिण दिशा में दोनों कॉर्नर में सेफ रखी हैं और हमारा पलंग उनके मध्य दीवार संग सटाकर बिछा है, क्या यह ठीक है?
    यह ठीक नहीं है। दो अलमारियों के मध्य पलंग कदापि नहीं बिछाना चाहिए! ऐसा करेंगे तो नींद भी नहीं आएगी और बेचैनी महसूस करेंगे! दोनों अलमारियां  दीवार से इस प्रकार लगाएं कि पलंग उनके मध्य न आए! भार सदैव दक्षिण, पश्चिम व आग्नेय दिशा में ही रखें!
    पंडित जी हमारे शयनकक्ष में जो अटैच शौचालय है, सोते समय हमारे उसकी ओर पैर रहते हैं। क्या यह ठीक है? मुझे तो लगता है यह गलत हैं, जीवन में भागदौड़, तनाव एवं बाधाएं बहुत हैं, कभी भी सन्तोष आता ही नहीं है! कार्य सदैव आखिरी क्षण में आते-आते हाथ से फिसल जाते हैं। समझ नहीं आता क्या करूं?
    बन्धुवर शौचालय की ओर पैर करकर सोएंगे तो दुर्भाग्य आपका पीछा करता रहेगा। अतः पलंग इस प्रकार बिछाएं कि पैर उधर न पड़ें! यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो पलंग वैसे ही बिछा रहने दें पर पैर शौचालय की ओर करके न सोएं! यदि आपके समक्ष समस्याएं अधिक हैं तो आप अपना ईशान चैक करें उधर भार बढ़ा होगा या ईशान में शौचालय या सीढ़ियां होंगी। वास्तु सलाह लेकर इन्हें ठीक कर लें! प्रत्येक कमरे का ईशान खाली रखेंगे तो धीरे-धीरे समस्या से मुक्ति मिलने लगेगी।
    पंडित जी हमारे शयनकक्ष में ही हमारा कुत्ता सोता है क्या यह ठीक है?
    यह ठीक नहीं है, आप कुत्ते को घर में वायव्य दिशा में ही रखें! अपने शयनकक्ष में कुत्ते को न सुलाएं। यदि ऐसा नहीं करेंगे तो शरीर से अस्वस्थ रहेंगे और नींद भी भरपूर नहीं आएगी एवं अज्ञात चिन्ता सताएगी।
    शेष प्रश्नों के उत्तर अगले लेख में देंगे! यदि आपके पास कोई ओर प्रश्न हो तो आप लिख कर भेजें उसका भी जवाब देंगे।(क्रमशः)


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