मन की लगाम कसकर रखें!
>> Monday, March 13, 2017
मन की लगाम कसकर रखें वरना बाद में पछताना पढ़ता है। जिसने मन पर विजय पा ली वही भाग्यशाली एवं बुद्धिमान है। मन के दास न बनकर उसके स्वामी बनो और उसे अपने अनुसार चलाओ। ऐसा करने में ही भलाई है। मन को सदैव विवेक रूपी अंकुश से संभालकर रखना चाहिए। विवेक का अंकुश हटते ही मन आपको अपने अनुरूप भटका लेता है। मन को भटकने से बचाने के लिए ज्ञान रूपी चौकीदार की सहायता लेनी चाहिए। चौकीदार जागता है तो चोर चोरी नहीं कर पाता है। आप भी ज्ञान व विवेक के बल पर सजग रहकर मन के बहकावे में आने से बच सकते हैं। जब मन आपके काबू में होगा तो आपको अपनी पहचान होगी आैर आप जीवन में आत्मविश्लेषण के बल पर मन चाहा विकास कर पाएंगेा मन मैला हो जाए तो सबकुछ मैला हो जाता है। वैसे भी मन का मैल तन के ध्ाोने से साफ नहीं होता है। मन की लगाम कसकर रखेंगे तभी आप अपने मन को एक दिशा दे पाएंगे।
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