मौन शक्तिशाली है!
>> Thursday, March 16, 2017
मौन में शक्ति होती है इसलिए वह शक्तिशाली है। मौन के कार्य की अपनी एक रीति है। रमन महर्षि ने कहा है। मौन नित्य वाणी है। वह वाणी का निरन्तर प्रवाह है जो बोलने से रुक जाता है। ये शब्द जो मैं बोल रहा हूं उस मौन वाणी का अवरोध करते हैं। जैसे धातु के तार में विद्युत का प्रवाह बहता है, उसे रोकने पर वह बल्ब के रूप में प्रकाश और पंखे के रूप में हवा प्रदान करता है। जिस प्रकार तार में विद्युत अव्यक्त शक्ति के रूप में रहती है उसी प्रकार मौन वाणी का नित्य प्रवाह है जो शब्दों से रुक जाता है। दीर्घकाल तक चलने वाले परस्पर वार्तालाप के उपरान्त भी जो बात समझ नहीं आती है वह बात मौन के एक क्षण में भी समझ आ जाती है। ज्ञानी का प्रभाव मौनावस्था में दूसरे पर अधिक पड़ता है। बोलने से उनका प्रभाव कम हो जाता है। मौन सर्वाधिक शक्तिशाली होता है। वाणी सदैव मौन से कम शक्तिशाली होती है। वस्तुत: परस्पर मानिसिक सम्पर्क श्रेष्ठ माना गया है। मौन कभी विश्राम नहीं करता है। मौन में मनुष्य समीप की परिस्थितियों से निकटतम सम्पर्क बना लेता है। जिसका मन दुर्बल होता है वे प्रबल मन वाले व्यक्ति के प्रभाव में आ जाता है। मन मौन के निरन्तर अभ्यास से प्रबल बनता है और शान्त होकर एकाग्रता को प्राप्त कर लेता है।
नित्य बीस मिनट तक मौन का अभ्यास करने से अनेक प्रकार के तनाव व मानसिक अशान्ति से मुक्ति मिलती है।
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