लक्ष्य कब अपना होता है
>> Monday, April 3, 2017
लक्ष्य प्राप्ति हेतु श्रद्धा, विश्वास व प्रेम के साथ-साथ कर्म आवश्यक है। लक्ष्य के प्रति श्रद्धा उसे पाने का विश्वास उत्पन्न करती है और यह विश्वास लक्ष्य को पाने के प्रति उपजे प्रेम को समर्पण में बदल देता है। ऐसे में निरन्तर कर्म करने की शक्ति उत्पन्न होती है और निरन्तर समर्पण भाव से किया गया श्रम बढ़ता जाता है और अन्तत: कर्मयोगी बनने के कारण लक्ष्य अपना हो जाता है।
0 comments:
Post a Comment