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किचन संवरे सबकुछ संवरे-पं. ज्ञानेश्वर

>> Thursday, June 17, 2010


    आजकल मॉडूलर किचन का जमाना है। घर में शयनकक्ष, किचन एवं बॉथरूम को बनाते समय विशेष ध्यान देना चाहिए। शरीर को ऊर्जा भोजन से मिलती है। 
जैसा खाएं अन्न वैसा होए मन यह कहावत लोकप्रचलित है। भोजन जितना स्वादिष्ट एवं पौष्टिक होगा स्वास्थ्य भी उतना अच्छा होगा। अच्छा भोजन अच्छी किचन होने पर ही बन सकता है। यदि किचन छोटी एवं गन्दी है तो अच्छे और स्वादिष्ट भोजन की उम्मीद नहीं की जा सकती है। 
प्रायः हम भवन में किचन बनाते समय उसे कम स्थान देने की सोचते हैं। जबकि उसमें खुला स्थान होना चाहिए जिससे उसमें शुद्ध वातावरण का समावेश रहे और मन से भोजन बन सके।
रसोई अन्नपूर्णा का स्थान है। सम्पूर्ण खाद्य सामग्री किचन में होती है। किचन संवारने के लिए किन बातों का ध्यान रखें, आईए उनकी चर्चा करते हैं। ये बातें इस प्रकार हैं-
1. खाना बनाने में अग्नि अत्यावश्यक है जोकि गैस के चूल्हे से प्राप्त होती है। किचन में चूल्हा सदैव आग्नेय कोण अर्थात्‌ दक्षिण-पूर्व में रखना चाहिए। खाना बनाते समय पूर्व की ओर हो तो अति उत्तम है। इस प्रकार से चूल्हा रखने पर किचन में बरकत रहती है और धन के साथ स्वास्थ्य की भी वृद्धि होती है।
2. किचन में सिंक या हाथ धोने का स्थान ईशान कोण में होना चाहिए। रात्रि में किचन में झूठे बर्तन नहीं होने चाहिएं। यदि शेष रहते हैं तो एक टोकरे में भरकर किचन से बाहर आग्नेय कोण में रखने चाहिएं।
3. पीने योग्य जल का भंडारण भी ईशान कोण में होना चाहिए। यह ध्यान रखें कि कभी भी आग्नेय कोण में जल का भंडारण न करें। गैस के स्लैब पर पानी का भंडारण तो कदापि न करें, वरना गृहक्लेश अधिक होगा। पारिवारिक सदस्यों में वैचारिक मतभेद होने लगेंगे। गृहक्लेश अधिक होता है तो किचन में चैक करें अवश्य जल और अग्नि एक साथ होंगे अथवा ईशान कोण में वजन अधिक होगा या वह अधिक गंदा रहता होगा।
3. गीजर या माइक्रोवेव ओवन आग्नेय कोण के निकट ही होने चाहिएं। इसी प्रकार मिक्सी, आटा चक्की, जूसर आदि भी आग्नेय कोण में दक्षिण दिशा की ओर रखने चाहिएं।
4. यदि किचन में रेफ्रीजिरेटर भी रख रहे हैं तो उसे सदैव आग्नेय, दक्षिण या पश्चिम की ओर रखें। ईशान या नैर्ऋत्य कोण में कदापि नहीं रखना चाहिए। यदि रखेंगे तो परिवार में वैचारिक मतभेद अधिक रहेंगे और कोई किसी की सुनेगा नहीं।
5. मसाले, बर्तन, चावल, दाल, आटा या खाद्य पदार्थ का भंडारण दक्षिण या नैऋर्त्य में करना उचित है। 
6. खाली सिलेण्डर नैर्ऋत्य कोण में रखें और प्रयोग में आने वाला गैस सिलेण्डर आग्नेय कोण में दक्षिण दिशा की ओर रखें।
7. भोजन बनाने वाली महिला को किचन में भोजन नहीं करना चाहिए। यदि वह करेगी तो बरकत खतम होगी एवं घर में दरिद्रता आएगी।
8. किचन में कभी भी पूजा का स्थान नहीं बनाना चाहिए। यदि ऐसा करेंगे तो भी बरकत खतम होगी। घर में गृह क्लेश होगा एवं व्यर्थ की बाधाएं आती रहेंगी। बिना बाधा के कोई कार्य पूर्ण नहीं होगा।
9. भोजन बनाते समय भोजन सामग्री बार-बार नहीं निकालनी चाहिए। कोशिश करें कि वह एक बार में ही निकाल लें। यदि एक से अधिक बार निकालनी पड़ें तो हाथ धोकर ही निकालें। गन्दे व झूठे हाथों से न निकालें। यदि ऐसा करेंगे तो अन्नपूर्णा देवी बरकत नहीं होने देगी।
10. यदि आपके घर में क्लेश अधिक होता है तो आपको यह प्रयोग अवश्य करना चाहिए। आटा गूंथते समय गृहिणी को एक चुटकी नमक और एक चुटकी बेसन अवश्य मिला लेना चहिए।
11. बाधाएं अधिक हों और धन रुकता नहीं है। गृहक्लेश अधिक हो व सन्तान बीमार रहती है तो आपको यह प्रयोग नित्य करना चाहिए। प्रातः सर्वप्रथम गैस जलाते समय बिना कुछ बनाए तवा गरम करें और जब गरम हो जाए तो उस पर जल का छींटा मारकर कपड़े से साफ कर तीन रोटी बनाएं। पहली गाय, दूसरी कौए और तीसरी कुत्ते को दें। इससे बाधाओं से मुक्ति मिलेगी व समृद्धि बढ़ेगी।

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