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पुलिस-सेना के ज्‍योतिष के योग -रतन लाल शर्मा(ज्‍योतिष

>> Thursday, June 24, 2010


      प्रस्तुत कुंडली ऐसे जातक की है जो मेरे ही गांव चांदसेन तहसील लालसोट का है, इसका जन्म दिनांक 13.1.1976 को प्रातः  1.48 पर लालसोट में हुआ। तुला लग्न में उत्पन्न यह जातक दिनांक 3.11.77 से राजकीय सेवा में सब इन्सपेक्टर, राजस्थान पुलिस पद पर पुलिस अकादमी जयपुर में नियुक्त है। जातक को इस क्षेत्र में जाने के लिए किन ग्रहों का योगदान रहा खोजते हैं।

       जातक की कुण्डली का विश्लेषण करें तो निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती हैं-
1. तीसरे भाव में क्रूर ग्रह सूर्य स्थित है जिस पर मंगल की पूर्ण दृष्टि है जो जातक को साहसी बनाती है। 
2. तृतीयेश गुरु की दशम भाव पर पूर्ण  दृष्टि है, जो पुलिस अधिकारी बनाने में सक्षम है। 
3. षष्ठ भाव संघर्ष एवं स्पर्धा का है एवं इससे गुरु का सम्बन्ध होना जातक को अनुशासन एवं न्यायप्रिय बनाकर कर्त्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी बनाता है।  
4. दशमेश चन्द्र की मंगल से युति जातक को पुलिस से आजीविका दिलाती है। 
5. तृतीयेश का षष्ठ भाव में होना जातक को शत्रु पर विजय पाने की क्षमता देता है। कुण्डली में तृतीयेश गुरु षष्ठ भाव में स्थित है।
6. दशम भाव से मंगल या शनि का सम्बन्ध होने पर जातक पुलिस में नौकरी पाता है। 
इस कुण्डली के दशम भाव में शनि स्थित है और दशम चन्द्र का मंगल के साथ होना भी दशम भाव से मंगल का सम्बन्ध दर्शाता है जोकि इस क्षेत्र से आजीविका पाने का लक्षण है। 
      इस प्रकार देखा गया है कि पुलिस या सेना में अधिकारी बनने हेतु कुण्डली में महत्वपूर्ण भूमिका तृतीय भाव, षष्ठ भाव, दशम भाव और मंगल, सूर्य, राहु, शनि जैसे क्रूर ग्रहों के साथ गुरु ग्रह आदि अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उक्त भाव और भावेश एवं क्रूर ग्रहों का पारस्परिक रूप से दृष्टि, युति, स्थान परिवर्तन जैसे सम्बन्ध जातक को पुलिस या सेना अधिकारी बना देते हैं। तृतीय भाव पराक्रम, वीरता एवं शौर्य का है वही षष्ठ भाव संघर्ष एवं स्पर्धा का है। दसवां भाव हमारा कर्म क्षेत्रा है। जातक को राहु में राहु में सूर्य की प्रत्यन्तर दशा में यह नौकरी प्राप्त हुई। कृतिका नक्षत्रा के सूर्य महादशा में जन्मे इस जातक का यह प्रत्यन्तर समय  26.9.97 से 16.11.97 तक था। राहु तथा सूर्य दोनों ही क्रूर ग्रह हैं तथा लग्न व एकादश भाव में स्थित हैं, इस प्रकार दोनों ने अपनी दशान्तर्दशा व प्रत्यन्तर्दशा आदि में जातक को आजीविका दिलायी। 
ज्योतिष रत्न पत्रााचार पाठ्यक्रम के अनुसार पुलिस या सेना के क्षेत्र में जाने के लिए कई योग है जो यहां बता रहे हैं। इनको कुंडली में देखकर आप भी बता सकते हैं कि अमुक जातक इस क्षेत्र से आजीविका कमाएगा या नहीं। कुण्डली में मंगल का बली होना साहस व पराक्रम का कारक माना गया है। स्वराशि का मंगल, कुंडली के प्रथम या दशम भाव में मंगल की स्थिति या मंगल  द्वारा दशमेश का नियंत्रण हो तो जातक पुलिस अधिकारी या सेना में होता है। इस क्षेत्र में जाने के प्रमुख योग इस प्रकार हैं-
    1. तृतीय भाव में क्रूरग्रह की दृष्टि या युति हो या तृतीयेश की दशम भाव पर दृष्टि या युति हो।
    2. षष्ठ भाव में क्रूर ग्रह(सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु) की दृष्टि या युति हो या षष्ठ का दशम भाव से सम्बन्ध बना हुआ हो।
    3. एकादश भाव का सम्बन्ध षष्ठ भाव या मंगल से हो।
    4. दशमेश से मंगल की युति हो या परस्पर दृष्टि हो।
    5. तृतीयेश का लग्न भाव में होना या तृतीयेश स्वराशि का तृतीय भाव में हो या नवमस्थ होकर तृतीय भाव पर दृष्टि डाले।
    6. तृतीयेश छठे भाव में हो।
    7. सप्तमेश तृतीय भाव में स्थित हो या चतुर्थेश तृतीय भाव में स्थित हो।
    8. छठे भाव का क्रूर ग्रहों या गुरु से सम्बन्ध हो।
    9. दशम भाव से मंगल व शनि का परस्पर सम्बन्ध हो।
   10. षष्ठेश की छठे भाव पर दृष्टि हो या मंगल का दशमेश या दशम भाव से दृष्टि या युति सम्बन्ध बने।
उक्त योगों में पाया गया कि इनमें त्रिषडाय या त्रिषडायेश के अतिरिक्त क्रूर ग्रहों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके साथ दशम भाव, पहला भाव व चतुर्थ तथा इनके स्वामी ग्रह भी अच्छी भूमिका निभाते हैं। जहां तृतीय भाव साहस, उत्साह, पराक्रम एवं वीरता का सूचक है वहीं षष्ठ भाव संघर्ष एवं स्पर्धा को दर्शाता है और शत्रु पर विजय दिलाता है। 
    अतः पुलिस या सेना में नौकरी हेतु उक्त योगों में से अधिकांश योग यदि जातक की कुण्डली में पाए जाते हैं तो निश्चय ही वह इस तरह की नौकरियां करता है एवं अपनी आजीविका चलाता है। इन योगकारक ग्रहों की दशा, अन्तर्दशा या प्रत्यन्तर दशा का आना भी आवश्यक है।

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