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चन्द्रमा व अन्य ग्रहों से बनने वाले योग -पं. सत्यज्ञ

>> Saturday, July 3, 2010




चन्द्रमा से अन्य ग्रहों की स्थिति से बनने वाले योग की चर्चा यहां करेंगे। चन्द्रमा एवं अन्य ग्रहों से बनने वाले योग अनेक हैं। कुछ योगों की चर्चा यहां करेंगे जोकि कुण्डली का फलित करते समय उपयोगी होते हैं।
1. सुनफा योग
सूर्य को छोड़कर यदि कोई अन्य ग्रह चन्द्रमा से दूसरे भाव में स्थित हो तो सुनफा योग बनता है। 
इस योग के होने पर जातक को राजा के समान सम्मान प्राप्त होता है। जातक अपनी बौद्धिक क्षमता के कारण सम्मानित होगा। वह धनी तथा प्रतिष्ठित होगा। वह स्वार्जित धन का स्वामी होगा।
2. अनफा योग
सूर्य को छोड़कर यदि कोई अन्य ग्रह चन्द्रमा से द्वादश भाव में स्थित हो तो यह योग बनता है।
जातक राजा के समान सम्मान प्राप्त करेगा, रोग मुक्त, सदाचारी, सुखी होगा।
3. दुरधरा योग
सूर्य को छोड़कर यदि कोई अन्य ग्रह चन्द्रमा से द्वितीय तथा द्वादश भाव में स्थित हो तो यह योग बनता है।
इस योग वाला जातक सब सुखों से सम्पन्न तथा सुखों को भोगने वाला होता है। उसके पास सेवक, वाहन तथा धन होता है।
4. केमद्रुम योग
सूर्य के अतिरिक्त यदि कोई अन्य ग्रह चन्द्रमा से 1,2,12 भाव में या लग्न से केन्द्र में कोई न हो केमद्रुुम योग होता है। यह अशुभ योग होता है।
इसमें जातक दरिद्र, बुद्धिहीन विपत्तियों व दुखों से पीड़ित होता हैै। यदि यह योग जन्म कुण्डली में हो तो अन्य अशुुभ योग नष्ट हो जाते है। 
केमद्रुम भंग योग होने पर केमुद्रुम योग नष्ट हो जाता है।
केमद्रुम भंग योग 
1. यदि कोई ग्रह लग्न से केन्द्र में हो।
2. यदि कोई ग्रह चन्द्रमा से केन्द्र में हो या चन्द्रमा से युत हो।
3. यदि चन्द्रमा लग्न से केन्द्र में स्थित हो।
4. चन्द्रमा को सभी ग्रह देखें तो केमुद्रुम योग नष्ट हो जाता है।
5. गजकेसरी योग
1. यदि बृहस्पति चन्द्रमा से केन्द्र में (1,4,7,10) स्थित हो।
2. पाराशर के अनुसार यदि बुध या शुक्र चन्द्रमा के साथ युति या दृष्टि करता हो। 
उक्त दो स्थितियों में गजकेसरी योग बनता है। इसमें उत्पन्न जातक महान्‌ कार्य करने वाला, सभा में कुशलता पूर्वक बोलने वाला होता है।
इसमें चन्द्रमा बली होना आवश्यक है। अन्य ग्रह भी बलवान होने चाहिएं।
कुछ विद्वान बृहस्पति को लग्न से भी केन्द्र में स्थित होने पर गज केसरी योग मानते हैं।
6. चन्द्राधियोग
यदि चन्द्रमा से 6,7,8 भाव में शुभ ग्रह हो तो चन्द्राधियोग बनता है। जो जातक इस योग में उत्पन्न होता है सेना का अध्यक्ष, राजा या मन्त्री बनता है। यह ग्रहों के बल पर निर्भर करता है।
7. अमला योग
यदि लग्न या चन्दमा से दसवें भाव में बलवान शुुभ ग्रह हों तो अमला योग बनता है, इसे कीर्तियोग भी कहते हैं।
इसमें उत्पन्न जातक राज्य, बन्धु व जनता का प्रिय, महा भोगी, दानी, परोपकारी, धर्मात्मा एवं गुणी होता है।

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