मुद्राएं स्वास्थ्य वर्धक है!-ज्ञानेश्वर
>> Monday, July 5, 2010
मानव शरीर अनन्त रहस्यों से भरा हुआ है। शरीर को पंच तत्त्वों के योग से बना है। पांच तत्त्व ये हैं-पृथ्वी, अग्नि, वायु एवं आकाश। जब भी शरीर मे इन तत्त्वों का असन्तुलन होता है तो रोग उत्पन्न हो जाते हैं। यदि हम इन तत्त्वों का सन्तुलन करना सीख जाएं तो आरोग्यता वापस ला सकते हैं।
शरीर की अपनी एक मुद्रामयी भाषा है। हाथों की अंगुलियों और अंगुलियों से बनने वाली मुद्राओं में आरोग्य का रहस्य छिपा है। अंगूठ में अग्नि तत्त्व, तर्जनी में वायु तत्त्व, मध्यमा में आकाश तत्त्व, अनामिका में पृथ्वी तत्त्व एवं कनिष्ठिका में जल तत्त्व प्रतिष्ठित हैं।
नृत्य करते समय भी मुद्राएं बनायी जाती हैं जो शरीर की हजारों नसों एवं नाडियों को प्रभावित करती हैं और उनका शरीर पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
हस्त मुद्राएं तत्काल प्रभाव डालती हैं। जिस हाथ से बनायी जाती हैं उसके विपरीत शरीर के भाग पर इसका प्रभाव पड़ता है। मुद्राओं का अभ्यास करते समय वज्रासन, पद्मासन या सुखासन में ही बैठ कर करना चाहिए।
मुद्राएं अनेक हैं-ज्ञान मुद्रा, वायु मुद्रा, आकाश मुद्रा, शून्य मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, सूर्य मुद्रा, वरुण मुद्रा, अपान मुद्रा, अपान वायु या हृदय रोग मुद्रा, प्राण मुद्रा, लिंग मुद्रा आदि। इन सभी मुद्राओं की चर्चा एक-एक करके करेंगे। मुद्राओं का मूल लक्ष्य स्वास्थ्य है इसलिए ये स्वास्थ्यवर्धक होती हैं।
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