यह ब्‍लॉग आपके लिए है।

स्‍वागत् है!

आपका इस ब्‍लॉग पर स्‍वागत है! यह ब्‍लॉग ज्‍योतिष, वास्‍तु एवं गूढ वि़द्याओं को समर्पित है। इसमें आपकी रुचि है तो यह आपका अपना ब्‍लॉग है। ज्ञानवर्धन के साथ साथ टिप्‍पणी देना न भूलें, यही हमारे परिश्रम का प्रतिफल है। आपके विचारों एवं सुझावों का स्‍वागत है।

प्राणायाम प्राण का पोषक है!-राजीव शंकर माथुर

>> Thursday, July 15, 2010


प्राण ही जीवन है। यदि प्राण निकल जाएं तो व्यक्ति मुर्दा बन जाता है। श्वास लेने और छोड़ने की क्रिया को प्राणायाम कहते हैं। जो इसका अभ्यास करता है उसका शरीर सुन्दर, स्वस्थ, शक्तिशाली हो जाता है जिससे वह दीर्घायु होता है। श्वास के द्वारा अशुद्ध रक्त हृदय में जाता है और शुद्ध होकर समस्त शरीर में जाकर शक्ति का संचार करता है।
हृदय में अति सूक्ष्म प्रकार की दो नलिकाएं होती हैं। एक वह जो शरीर से अशुद्ध रक्त को लेकर हृदय तक पहुंचाती है जिनको शिरा कहते हैं। दूसरी वह जो हृदय में से शुद्ध रक्त लेकर समस्त शरीर तक पहुंचाती है जिनको धमनी कहते हैं।
प्राणायाम की तीन क्रियाएं होती हैं-
1. रेचक जिसमें प्राण को बाहर निकालते हैं।
2. पूरक जिसमें प्राण को भीतर लेते हैं।
3. कुम्भक जिसमें प्राण को अन्दर लेकर या बाहर निकालकर रोकते हैं।
इसका अभ्यास प्रत्येक अवस्था और बारह महीने किया जा सकता है। प्राणायाम की अनेक क्रिया हैं जिनके चक्कर में पड़ने की आवश्यकता नहीं है। इसके लिए किसी योग प्रशिक्षक से सलाह लेनी चाहिए।
प्राणायाम की रीति
सिद्धासन या पद्मासन लगाकर प्राणायाम किया जा सकता है। चलते-फिरते या आराम कुर्सी पर विश्राम करते हुए या खड़े होकर भी प्राणायाम किया जा सकता है।
प्राणायाम की सरल रीति इस प्रकार है-दायीं नासिका को अंगूठे या अंगुली की सहायता से बन्द करके, बायीं नासिका से धीरे-धीरे आठ तक मन ही मन गिनती गिनते हुए श्वास अन्दर रोके रहें। इसके बाद बायीं नासिका बन्द करके दायीं नासिका से आठ तक गिनती गिनते हुए समान गति से श्वास बाहर निकालें और फिर नौ दस तक गिनती पूरी करते हुए श्वास अन्दर रोक दें। इस प्रकार पूरी श्वास बाहर निकल जाएगी। अब बारी बारी से यही क्रिया दो मिनट तक दोहराते रहें।
यदि उक्त सरल रीति से प्रत्येक दो घंटे बाद दो मिनट तक यह प्राणायाम किया जाए तो शरीर की सारीर थकावट दूर हो जाएगी। अधिक ऑक्सीजन मिलने से चेहरे पर चमक आ जाएगी और शरीर में एक नई स्फूर्ति का अनुभव करेंगे।
उक्त रीति से प्राणायाम करना सरल है। यदि आप श्वास बाहर निकालने के बाद जितनी अधिक देर तक बिना श्वास लिए रह सकते हैं उतनी ही आपको सफलता मिलेगी। यह अवधि धीरे-धीरे बढ़नी चाहिए। काई दबाव न बनाएं की यह करना ही है। जितनी देर तक आप श्वास लिए बिना रह सकते हैं उतनी देर तक इसका अभ्यास करें।
 प्राणायाम के लाभ
प्राणायाम से समस्त शरीर के विकार दूर हो जाते है। शरीर स्वच्छ, शक्तिशाली बनकर तेजस्वी बन जाता है। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार का नाश होता है। बुढ़ापा दूर होता है। पाचन क्रिया सुन्दर बनती है। चंचल मन स्थिर होता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। यहां तक शरीर कुन्दन बन जाता है। प्राणायाम अत्यन्त लाभदायी है। 
साधक यम-नियमों का पालन करते हुए शुद्ध हृदय से प्राणायाम करके अष्टचक्रों(मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, सूर्य, मनश्चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र, भ्रमर गुहा चक्र, सहस्त्रार चक्र) का भेदन करने से तीसरा नेत्र खोलकर कुंडलिनी तक जगा सकता है। यहां तक कई सिद्धियां तक पा सकता है। इसके लिए गुरु की आवश्यकता होती है।

0 comments:

आगुन्‍तक

  © Blogger templates Palm by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP