स्पाइरिनुला एक आदर्श आहार है!-डॉ.सत्येन्द्र तोमर
>> Saturday, July 17, 2010
स्पाइरिनुला एक प्रभावशाली रोग नियामक आदर्श आहार है। अनेक अनुसंधान हुए जिनके परिणामों से यह ज्ञात हुआ है कि विश्व में सूक्ष्मदर्शी शैवाल, स्पाइरिनुला एक पौष्टिक आहार है। इसमें पोषक तत्त्वों का संकेन्द्रण किसी भी भोज्य पदार्थ, पौधे, अनाज या जड़ी-बूटियों की तुलना में सर्वाधिक होता है। स्पाइरिनुला सर्वोत्तम प्रोटीन युक्त आहार है। इसमें सभी पाच्य वनस्पतिक प्रोटीन की मात्रा 60 प्रतिशत से अधिक है। इसमें बीटा कैरोटीन, विटामिन बी1, बी2, बी3, बी6, बी12, ई, आयरन एवं खनिजों के साथ फैटी एसिड जी.एल.ए. की मात्रा अधिकतम है इसलिए इसे डी.एन.ए. कोड में भी शामिल किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह बच्चों के लिए आदर्श, सुरक्षित एवं पोषक आहार है। विश्व में बीस वर्षों से अधिक समय से इस पर अन्तर्राष्ट्रीय शोध हो रहा है। विश्व में चीन, जापान, भारत, रूस, यूरोप और अमेरिका के वैज्ञानिक इस विषय में शोधरत हैं कि मनुष्यों एवं पशुओं में स्वास्थ्य के लिए स्पाइरिनुला इतना कारगर कैसे और क्यों है। विश्व में अनेक प्रकार के जीव जैसे-चूहे, बिल्लियां, मछलियों और मनुष्यों को यह खिलाकर अध्ययन करने पर ज्ञात हुआ कि यह प्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर बनाता है तथा रक्त कोशिकाएं उत्पन्न करने के लिए शरीर की शक्ति बढ़ाता है एवं आदर्श, मज्जा, स्टेम सैल, मैक्रोफेगस टी सेल और प्राकृतिक संहारक कोशिकाएं स्पलीन और थायमस ग्रन्थि की सक्रियता को बढ़ाता है जिससे मेक्रोफेगस की संख्या बढ़ जाती है और वे सक्रिय होकर विषाक्त जीवाणुओं का नाश करती है। यही कारण है कि यह अल्प मात्रा में सेवन करने पर भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है जिससे अनेक संक्रमण जैसे एच.आई.वी., कैन्सर, राज्यक्ष्मा आदि का खतरा न्यूनतम हो जाता है। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन इसको प्रो-बायोटिक के स्थान पर प्रयोग किए जाने पर विचार कर रहा है। मैक्सिको, अर्जेन्टीना, जापान और भारत में किए गए अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि इसके सेवन से कोलेस्ट्रेल कम होता है जिससे रक्तचाप सामान्य होता है। यह सीरम, एल.डी.एल अर्थात् खराब कोलेस्ट्रेल को कम करता है और एच.डी.एल अर्थात् अच्छा कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है। यह मल निकासी बढ़ाता है जिससे शरीर से विषाक्त जीवणु निष्कासित हो जाते हैं और गैस बनना, खट्टी डकारें, जीमिचलाना, सिरदर्द आदि स्वतः ठीक हो जाते हैं। यह पोषक आहार शक्तिवर्धक है और आसानी से पचता है तथा एन्टी ऑक्सीडेन्ट के रूप में अच्छा कार्य करता है। यह यह बुढ़ापा भी रोकता है और आखों के लिए लाभदायक है। इसे खाने के बाद सुबह और शाम एक कैपसूल के रूप में लेना चाहिए। पोषक तत्त्वों के समृद्ध स्रोत 500मिग्रा. के 12कैपसूल के समकक्ष है।
बीटा कैरोटिन की कमी से मुंहासे, एक्जीमा, सूजन, इन्फैक्सन हो जाता है। यह 56 गिलास गाय का दूध या 550 सेव में होता है। 12 कैपसूल में 12मिग्रा. होता है। बी 1 की कमी से शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता में कमी, मांसपेशियों का दर्द एवं उदर ठीक से काम नहीं करता है। यह 20 हरी मिर्च या 16 सर्डिन मछली में होता है। 12 कैपसूल में 0.24मिग्रा. होता है। बी 2 की कमी से मंद विकास, एक्जीमा, दृष्टि निर्बल, नींद न आना, त्वचा खुरदरी होना। यह 420 अंगूर या 47 स्ट्राबरी में होता है। 12 कैपसूल में 0.24मिग्रा. होता है। बी 3 की कमी से त्वचा में सूजन, स्नायुओं का अति संवेदनशील होना। यह 8 नींबू में होता है। 12 कैपसूल में 1.2मिग्रा. होता है। बी 6 की कमी से हृदय रोग, स्नायुओं का अति संवेदनशील होना एवं त्वचा में सूजन होती है। यह 90ग्राम बे्रड में होता है।12 कैपसूल में 43.2मिग्रा. होता है। बी 12 की कमी से रक्ताल्पता, थकावट, मासिक धर्म में परेशानी, वृद्ध लगना। यह 240ग्राम पनीर में होता है।12 कैपसूल में 7.2मिग्रा. होता है। ई की कमी से अति तनाव होना, हृदय रोग, थके-थके रहना और बूढ़ा लगना। यह चिकन की 6 बोटी या 14 गिलास गाय के दूध में होता है।12 कैपसूल में 0.72मिग्रा. होता है ।
0 comments:
Post a Comment