अपरिपक्व कौन?
>> Tuesday, August 24, 2010
अतप्ततनूर्न तदामो अश्नुते।-सामवेद 565, 875
अपरिपक्व और तपस्याहीन व्यक्ति परमात्मा को नहीं पा सकता।
अपरिपक्व कौन? जो अज्ञानी है, ऐसा ज्ञानी जिसका ज्ञान व्यवहारिक नहीं है। तपस्याहीन कौन है? जो कर्मयोगी नहीं, कर्मठ नहीं और अनमोल समय की महत्ता नहीं समझता है। यदि आप अपरिपक्व हैं और तपस्याहीन हैं तो समझ लें आप परमात्मा तक नहीं पहुंच सकते हैं। जो परमात्मा तक नहीं पहुंच पाते हैं, वे अशान्त, अव्यवहारिक और अस्त-व्यस्त जीवन जीकर यह जीवन यात्रा पूर्ण करते हैं। परमात्मा की कृपा मिलने पर ही जीवन सफल एवं साधन-सम्पन्न युक्त बनता है।
परिपक्व होकर बन जा तपस्वी, सुख-साधन पा बनेगा यशस्वी॥
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