शनि की साढ़ेसाती व उपाय-रतन लाल शर्मा
>> Wednesday, August 25, 2010
शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित लोगों को अपयश, हानि, अवनति, मन-मुटाव, स्वास्थ्य की प्रतिकूलता, मानसिक तनाव, वात-विकार, जोड़ों में दर्द, व्यर्थ की बाधाओं आदि प्रभावों से प्रभावित होना पड़ता है। यदि शनि जन्म कुण्डली में अशुभ स्थिति में हो एवं गोचर में भी उसकी स्थिति अशुभ हो तो उक्त प्रभावों से निश्चित रूप से प्रभावित होना पड़ता है।
मैं और मेरे मित्र की तुला राशि है। तुला राशि पर शनि की साढ़े साती 9.9.2009 से प्रारम्भ हुई थी, जोकि तुला राशि वालों के लिए अशुभ फलदायी है। साढ़े साती प्रारम्भ होने से पूर्व मैंने अपने मित्र से कहा कि बन्धुवर हम साढ़े साती के प्रभाव में आने वाले हैं। अतः एक काम करते हैं कि जब तक साढ़े साती चलेगी हम प्रत्येक शनिवार को बाला जी के दरबार में गुड़ चने का प्रसाद लेकर चलते रहेंगे। यदि घाव छोटा हो तो मलहम लगाते रहें तो घाव जल्दी भर जाता है, लेकिन यदि घाव अधिक फैल जाए तो दवा का असर भी कम होता है। ऐसा ही हुआ। 9 सितम्बर से पूर्व ही मैंने बाला जी जाना प्रारम्भ कर दिया, किन्तु मेरे मित्र ने नहीं किया। वस्तुतः वर्ष पर्यन्त में गिरकर भी संभलता रहा तथा प्रत्येक कार्य पूर्ण होते रहे। परन्तु मेरा मित्र बाधाओं एवं परेशानियों से जूझता रहा और बार-बार अनेक परेशानियों से परेशान होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी अधिक तंगी के कारण परेशान रहने लगा। उसकी एक समस्या मिटती दूसरी तुरन्त तैयार हो जाती। कहने का तात्पर्य यह है कि वह चारों ओर से परेशानियों की मारामारी से परेशान होता रहा। पहले वर्ष में ही शनि ने इतना तंग कर दिया तो बाद में क्या करेगा?
मैं सभी को यह सलाह दूंगा कि शनि की साढ़े साती आने से पूर्व ही उपाय करना प्रारम्भ कर दें वरना बाद में परेशानी आने पर संभाल पाना सरल नहीं होता है। शनि की साढ़े साती से बचने के और भी कई उपाय हैं। कुंडली से ग्रह जो अशुभ संकेत देते हैं उनका उपाय अवश्य करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से अरिष्टों से बचाव होता है। अब यहां शनि की साढ़े साती के कुछ उपाय बता रहे हैं जोकि अनुभूत एवं प्रभावशाली हैं, ये इस प्रकार हैं-
1. सात सप्ताह तक प्रत्येक शनिवार को बन्दरों को गुड़ और चना खिलाएं। यदि निरन्तर कर सकते हैं तो बहुत अच्छी बात है।
2. प्रतिदिन एक स्टील की कटोरी में सरसों का तेल डालकर उसमें अपनी छाया देखकर सातों दिन का तेल एकत्र करके शनिवार को पड़िये को एक सिक्के के साथ दान में दें पर उसकी बाल्टी में भूलकर भी न झांकें।
3. शनिवार को दक्षिणमुखी हनुमान जी के प्रतिमा पर चमेली के तेल में सिन्दूर का चौला गले से नीचे तक चढ़ाएं।
4. प्रतिदिन कीकर की दातुन से दांत मांजें।
5. प्रत्येक शनिवार नंगे पैर मंदिर जाकर एक नारियल के साथ सात बादाम छिलकों सहित चढ़ाएं।
7. शनिवार को खैर की लकड़ी लाकर अपने घर में गाढ़कर उस पर तेल चढ़ाएं।
8. सरसों का तेल चुपढ़कर बाद में नहाते समय साबुन से छुटा दें।
9. नंगे पैर मंदिर जाकर अपनी गलतियों की माफी मांग लें।
10. तवा, चिमटा व लोहे की अंगीठी का दान करें।
11. भैरों जी की उपासना करें।
12. काला सुरमा वीराने में भूमि के नीचे दबाएं।
13. शराब बहते पानी में बहाएं।
14. बड़ों का आशीर्वाद प्रतिदिन लें।
15. शनिवार को हनुमान मंदिर जाने से या हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी शनि प्रकोप से मुक्ति मिलती है।
उक्त सभी उपाय कम से कम सात सप्ताह बिना नागा अवश्य करें।
शनि का नाम सुनकर घबराएं नहीं, शनि संघर्ष कराकर चमकाने का कार्य उसी प्रकार करता है जिस प्रकार सोने को तपाने से वो निखरता है। शनि 3, 6, 10, 11 वें भाव में जन्म कुंडली में स्थित हो तो शनि की साढ़े साती का प्रभाव अधिक नहीं पड़ता है। शनि से घबराएं बिना उपाय करके उसके दिए संघर्ष व कष्ट से मुक्ति पाएं। शनि का मूल कार्य सबको अनुभवी बनाना है।
1 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुती..
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