वाहन दुर्घटना क्यों होती है?-पं. ज्ञानेश्वर
>> Sunday, August 1, 2010
दुर्घटना और उससे होने वाले कष्ट की कल्पना करके मान कांप जाता है। दुर्घटना क्यों होती है? चालक की लापहरवाही से या तेज गति से चलने के कारण होती है। लेकिन ज्योतिष के अनुसार दुर्घटना तब होती है जब कुंडली में अरिष्ट योग हों या अशुभ दशा चल रही हो। इसके अतिरिक्त अधोलिखित योग हों और इन योग कारक ग्रहों की दशा-अन्तर्दशा जब आती है तभी दुर्घटना होती है। ज्योतिष योग इस प्रकार हैं-
1. चतुर्थेश और शनि की युति छठे भाव में हो तो वाहन से मृत्यु होती है।
2. लग्नेश निर्बल हो एवं शनि आठवें भाव में पापग्रह से युत या दृष्ट हो।
3. मंगल चौथे भाव में हो एवं सूर्य दसवें भाव में हो तो भी वाहन से दुर्घटना होती है।
4. चन्द्र और मंगल केन्द्र में स्थित हो या आठवें भाव में स्थित हो या निर्बल चन्द्र चौथे भाव में पापग्रह से दृष्ट हो तो दुर्घटना से मृत्यु तुल्य कष्ट या मृत्यु होती है।
5. चतुर्थेश अर्थात् चौथे भाव का स्वामी और अष्टमेश अर्थात् आठवें भाव की युति कुंडली में हो तो भी वाहन दुर्घटना से मृत्यु तुल्य कष्ट होता है।
इन पांच योगों को कुंडली में देख लें और जो योग कुंडली में मिलें उन योगकारक ग्रहों की जब दशा-अन्तर्दशा-प्रत्यन्तर दशा आती है तब यह दुर्घटना योग घटित होता है। गोचर में भी यह युतियां या योग हों तो निश्चित रूप से दुर्घटना होती है।(ज्योतिष निकेतन सन्देश अंक 29 से साभार)
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