मरुमाक्षिका रोग व निदान -डॉ. सत्येन्द्र तोमर
>> Thursday, August 5, 2010
मरुमाक्षिका ज्वर गन्दे स्थान में रहने के कारण होता है। यह ज्वर तीन दिन तक रहता है।
यह मरुमाक्षिका(मक्खियां) के दंश से उत्पन्न होता हे। ये मक्खियां टूटी दीवारों, कूड़े-करकट तथा अंधेरे स्थानों में रहती हैं।
भारत में यह रोग दिल्ली, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथामध्यप्रदेश में पाया जाता है।
रोग के लक्षण
इस रोग के आक्रमण पर निम्न लक्षण मिलते हैं-
1. ठंड लगती है।
2. सिर में दर्द होता है।
3. हाथ-पैरों में भी दर्द होता है।
4. मुख व आंखों में लाली आ जाती है।
5. नाड़ी मन्द रहती है।
6. प्रारम्भ में कब्ज रहता है और फिर दस्त हो जाते हैं।
7. मक्खियां जहां दंश मारती हैं वहां लाल चकत्ते पड़ जाते हैं।
रोग की चिकित्सा
इस रोग के लक्षण जब मिल जाएं तो इस प्रकार औषधि सेवन करना चाहिए-
हिंगुलेश्वर रस 120मिग्रा., गोदन्ती भस्म 180मिग्रा. उपं अमृता सत्व 240 मिग्रा. लेकर दिन में चार बार शहद से सेवन करनी चाहिए। रोगी को पूर्ण आराम तथा लघु व पौष्टिक आहार देना चाहिए।
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