फलित करते समय गोचर अवश्य विचारें-सत्यज्ञ
>> Sunday, August 8, 2010
महादशा, अन्तरदशा एवं प्रत्यन्तरदशा से यह संकेत मिल जाता है कि अमुक घटना इस अवधि में घटेगी। लेकिन यह अवधि महीनों से लेकर कई वर्षों की अवधि है। लेकिन घटना का सही समय निर्धारित करने के लिए गोचर-ज्योतिष का सहारा लेना पड़ता है।
किसी भी जातक के जीवन में जब कोई शुभ या अशुभ घटना घट रही होती है तो उस समय जन्मकालीन ग्रहों की स्थिति से गोचर ग्रह स्थिति का निकटस्थ सम्बन्ध होता है।
वस्तुतः स्पष्ट है कि कोई भी शुभ या अशुभ घटना अनुकूल या प्रतिकूल गोचर ग्रह स्थिति पर ही अवलम्बित होती है। जिस दिन शुभाशुभ घटना घटती है उस दिन की गोचर ग्रह स्थिति शुभ या अशुभ होती है एवं दशा-अन्तरदशा एवं प्रत्यन्तरदशा भी शुभ या अशुभ है।
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