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भाग्यशाली कौन है?

>> Sunday, August 22, 2010


अयं मे हस्तो भगवान्‌ अयं मे भगवत्तर।-ऋग्वेद 10.60.12
मेरे दोनों हाथ पुरुषार्थ के कारण भाग्यशाली हैं।
भाग्यशाली कौन है? भाग्य पुरुषार्थ से ही फलीभूत होता है। जो पुरुषार्थी है वही भाग्यशाली है। पुरुषार्थहीन का दुर्भाग्य पीछा करता है और जब तक वह कर्मरत नहीं होता है तब तक वह उसका पीछा छोड़ता ही नहीं है। अतः सदैव कर्म करते हुए कर्म योगी बनें। कर्म के योग से ही कुशलता प्राप्त होती है और प्रतिफल में उन्नति, समृद्धि एवं यश मिलता है। जो करता है वह पाता है। कर्महीन कभी कुछ नहीं पाता वह सदैव अभाव में ही जीवन व्यतीत करता है। अतः कर्म की महत्ता समझ उसको अपनाओ।
 कर्म कर बनें भाग्यशाली, पायी जीवन में खुशहाली॥

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