शिक्षा का क्षेत्र कौन सा हो? (भाग-2)
>> Sunday, February 20, 2011
हर काई शिक्षित होना चाहता है क्योकि शिक्षा के बिना कुछ भी नहीं है। यदि आप अशिक्षित हैं तो आपका जीवन व्यर्थ है। यदि काई अपनी सन्तान को शिक्षा नहीं दिला सकता है तो वह सबसे बड़ा पापी व अपराधी है। शिक्षा दिलाना सबसे बड़ा धर्म है। इससे बड़ा दान कोई नहीं होता है। आठवीं पास करने के बाद यह प्रश्न मन में आ जाता है कि मेरा शिक्षा का क्षेत्र कौन सा हो जिससे मैं सहजता संग शिक्षा पूर्ण करके सफल व्यक्ति बन सकूं।अब पूर्व अंक की चर्चा को आगे बढ़ाते हैं।
जातक बुद्धिमान है या नहीं
बुद्धि बिना शिक्षा संभव नहीं है। बुद्धिमान या बुद्धि तेज व सूक्ष्म होने के लिए ये ज्योतिष योग होने चाहिएं-
-पंचम भाव या पंचमेश शुभग्रह से युत या दृष्ट हो।
-पंचमेश जिस नवांश राशि में हो उसका स्वामी केन्द्र में स्थित हो।
-पंचमेश के दोनों और के भावों में शुभग्रह स्थित हों।
-बुध दोष रहित हो तो जातक की बुद्धि सूक्ष्म व तीव्र होती है।
-पंचम भाव में गुरु स्थित हो एवं उसके दोनों और के भावों में शुभग्रह स्थित हो।
-बली गुरु द्वितीयेश हो तो एवं सूर्य व शुक्र ग्रह द्वारा दृष्ट हो तो जातक शब्दशास्त्र या भाषा का विद्वान होता है।
-गुरु ग्रह केन्द्र भाव में हो या शुक्र उच्च का हो एवं बुध या मंगल द्वितीय भाव में स्थित हो या केन्द्र में बुधकी दृष्टि हो या द्वितीयेश उच्च का हो व लग्न में गुरु स्थित हो तो जातक गणितज्ञ होता है।
-दूसरे भाव में स्थित चन्द्र व मंगल पर बुध की दृष्टि हो या द्वितीयेश उच्च का एवं लग्न भाव में गुरु हो व शनि आठवें भाव में हो तो जातक गणित शास्त्र में विशेषज्ञ होता है।
-चन्द्र व बुध केन्द्र में स्थित हों या तृतीयेश केन्द्र में बुध के साथ स्थित हो तो जातक गणितज्ञ होता है।
-गुरु नवम भाव में हो एवं उस पर चन्द्र व शनि की दृष्टि हो।
-नवम भाव में शुक्र-मंगल की युति हो।
-बुध केन्द्र में हो एवं द्वितीयेश बली हो या शुक्र द्वितीय भाव में उच्च का हो एवं अन्य कोई शुभग्रह तीसरे भाव में हो।
-नवम भाव में गुरु व मंगल की युति हो या दृष्टि हो तो जातक वकालत की शिक्षा पाता है। इनका दशमेश व तृतीयेश से संबंध हो तो जातक वकालत से खूब धन व यश पाता है।
-आत्मकारक ग्रह जिस नवांश में हो ससे पंचम भाव में चन्द्र हो तो जातक गायक होता है या संगीत शास्त्र में निपुण होता है।
-आत्मकारक ग्रह के नवांश में या उस नवांश में सूर्य हो तो जातक संगीतज्ञ होता है।
-सूर्य वृष राशि में या मंगल मिथुन या कन्या राशि में होत तो जातक संगीतशास्त्र में निपुण होता है।
-चन्द्र बुध के नवांश में होने के बाद शुक्र से दृष्ट हो या बुध मिथुन या कन्या राशि में हो।
-शनि-मंगल या बुध-शुक्र की युति हो तो जातक संगीतज्ञ या गायक होता है।
-एकादश भाव में शुक्र स्थित हो या एकादशेश से संबंध बनाए तो इससे धनलाभ का योग बनता है।
शिक्षा के ज्ञान कुण्डली से कैसे हो इसके अन्य योगों की चर्चा अगले लेख में करेंगे, इसे अवश्य पढ़ें।(क्रमशः)
(यह लेख डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' की नई पुस्तक 'ज्योतिष और शिक्षा विचार' पुस्तक का एक अंश है! शीघ्र यह पुस्तक ई-बुक के रूप में पाठकों के लिए उपलब्ध होगी! प्रतीक्षा करें! तब तक इस पुस्तक के अंश एक सीरीज के रूप में ज्योतिष निकेतन पर पढ़ते रहें। प्रतिदिन आकर लेख पढ़ना न भूलें वरना अनमोल ज्ञान से वंचित रह जाएंगे!)
जातक की स्मरणशक्ति
शिक्षा में स्मरण शक्ति की महत्ता सर्वविदित है। पंचमेश शुभग्रह से युत या दृष्ट हो या पंचम भाव शुभग्रह युत या दृष्ट हो या गुरु से पंचम भाव का स्वामी केन्द्र या त्रिकोण में हो तो जातक की स्मरण शक्ति अच्छी होती है। जातक बुद्धिमान है या नहीं
बुद्धि बिना शिक्षा संभव नहीं है। बुद्धिमान या बुद्धि तेज व सूक्ष्म होने के लिए ये ज्योतिष योग होने चाहिएं-
-पंचम भाव या पंचमेश शुभग्रह से युत या दृष्ट हो।
-पंचमेश जिस नवांश राशि में हो उसका स्वामी केन्द्र में स्थित हो।
-पंचमेश के दोनों और के भावों में शुभग्रह स्थित हों।
-बुध दोष रहित हो तो जातक की बुद्धि सूक्ष्म व तीव्र होती है।
-पंचम भाव में गुरु स्थित हो एवं उसके दोनों और के भावों में शुभग्रह स्थित हो।
शिक्षा में बाधा कब?
शिक्षा की प्राप्ति में बाधा कब आती है? चतुर्थेश त्रिक भाव 6, 8, या 12 में स्थित हो या पापग्रह से युत या दृष्ट हो तो जातक शिक्षा से हीन होता है या उसके शिक्षाकाल में बाधा या शिक्षा प्राप्ति में बाधा आती है।भाषाशास्त्र का विद्वान
-गुरु व द्वितीयेश बली हो एवं उस पर सूर्य व शुक्र की दृष्टि हो तो जातक भाषाविद्व होता है। -बली गुरु द्वितीयेश हो तो एवं सूर्य व शुक्र ग्रह द्वारा दृष्ट हो तो जातक शब्दशास्त्र या भाषा का विद्वान होता है।
गणितज्ञ
कुंडली में इन ज्योतिष के होने पर जातक गणितज्ञ होता है--गुरु ग्रह केन्द्र भाव में हो या शुक्र उच्च का हो एवं बुध या मंगल द्वितीय भाव में स्थित हो या केन्द्र में बुधकी दृष्टि हो या द्वितीयेश उच्च का हो व लग्न में गुरु स्थित हो तो जातक गणितज्ञ होता है।
-दूसरे भाव में स्थित चन्द्र व मंगल पर बुध की दृष्टि हो या द्वितीयेश उच्च का एवं लग्न भाव में गुरु हो व शनि आठवें भाव में हो तो जातक गणित शास्त्र में विशेषज्ञ होता है।
-चन्द्र व बुध केन्द्र में स्थित हों या तृतीयेश केन्द्र में बुध के साथ स्थित हो तो जातक गणितज्ञ होता है।
वकालत में कुशलता
इन योगों के होने पर जातक वकालत में निपुण होता है और इसकी उच्च शिक्षा पाता है--गुरु नवम भाव में हो एवं उस पर चन्द्र व शनि की दृष्टि हो।
-नवम भाव में शुक्र-मंगल की युति हो।
-बुध केन्द्र में हो एवं द्वितीयेश बली हो या शुक्र द्वितीय भाव में उच्च का हो एवं अन्य कोई शुभग्रह तीसरे भाव में हो।
-नवम भाव में गुरु व मंगल की युति हो या दृष्टि हो तो जातक वकालत की शिक्षा पाता है। इनका दशमेश व तृतीयेश से संबंध हो तो जातक वकालत से खूब धन व यश पाता है।
संगीत व गायन की शिक्षा
इन ज्योतिष योगों के कुंडली में होने पर संगीत व गायन में रुचि होने के कारण इस विषम में महारत हासिल होती है--आत्मकारक ग्रह जिस नवांश में हो ससे पंचम भाव में चन्द्र हो तो जातक गायक होता है या संगीत शास्त्र में निपुण होता है।
-आत्मकारक ग्रह के नवांश में या उस नवांश में सूर्य हो तो जातक संगीतज्ञ होता है।
-सूर्य वृष राशि में या मंगल मिथुन या कन्या राशि में होत तो जातक संगीतशास्त्र में निपुण होता है।
-चन्द्र बुध के नवांश में होने के बाद शुक्र से दृष्ट हो या बुध मिथुन या कन्या राशि में हो।
-शनि-मंगल या बुध-शुक्र की युति हो तो जातक संगीतज्ञ या गायक होता है।
-एकादश भाव में शुक्र स्थित हो या एकादशेश से संबंध बनाए तो इससे धनलाभ का योग बनता है।
शिक्षा के ज्ञान कुण्डली से कैसे हो इसके अन्य योगों की चर्चा अगले लेख में करेंगे, इसे अवश्य पढ़ें।(क्रमशः)
(यह लेख डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' की नई पुस्तक 'ज्योतिष और शिक्षा विचार' पुस्तक का एक अंश है! शीघ्र यह पुस्तक ई-बुक के रूप में पाठकों के लिए उपलब्ध होगी! प्रतीक्षा करें! तब तक इस पुस्तक के अंश एक सीरीज के रूप में ज्योतिष निकेतन पर पढ़ते रहें। प्रतिदिन आकर लेख पढ़ना न भूलें वरना अनमोल ज्ञान से वंचित रह जाएंगे!)
1 comments:
मैं आपके ब्लॉग का नियमित पाठक हूँ। और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि आपके ब्लॉग के पाठक कभी निराश नहीं होंगे। वर्तमान लेख भी अति उत्तम है। साधारण पाठक भी अपनी कुण्डली सामने रखकर लेख में उल्लिखित योगों की सहायता से अपने जीवन की दिशा-दशा के बारे में समझ सकता है या भविष्य की चुनौती के बारे में जान सकता है या उस ओर अग्रसर हो सकता है जिस ओर सफलता की अधिक संभावना हो। ज्योतिष में सफलता की संभावना के योगों पर भी एक लेख देने की कृपा करें। आगामी लेख की प्रतीक्षा में....
गोपाल
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