शिक्षा का क्षेत्र कौन सा हो? (भाग-4)
>> Tuesday, February 22, 2011
हर काई शिक्षित होना चाहता है क्योकि शिक्षा के बिना कुछ भी नहीं है। यदि आप अशिक्षित हैं तो आपका जीवन व्यर्थ है। यदि काई अपनी सन्तान को शिक्षा नहीं दिला सकता है तो वह सबसे बड़ा पापी व अपराधी है। शिक्षा दिलाना सबसे बड़ा धर्म है। इससे बड़ा दान कोई नहीं होता है। आठवीं पास करने के बाद यह प्रश्न मन में आ जाता है कि मेरा शिक्षा का क्षेत्र कौन सा हो जिससे मैं सहजता संग शिक्षा पूर्ण करके सफल व्यक्ति बन सकूं। अब पूर्व लेख की चर्चा को आगे बढ़ाते हैं।
2. बुध दशमेश होकर लग्न में हो या दशमेश से सम्बन्ध रखता हो और गुरु की केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो या इन पर दृष्टि डाले तो जातक की ज्योतिषी होता है।
3. धनु, मिथुन या कन्या लग्न हो और लग्न में गुरु हो और बुध दसवें भाव से दृष्टि सम्बन्ध बनाये तो जातक ज्योतिषी होकर इस क्षेत्र में धन व यश अर्जित करता है।
4. बुध चौथे, गुरु दसवें हो तो जातक ज्योतिषी होता है।
5. शुक्र पांचवे एवं गुरु दूसरे भाव में हो तो जातक ज्योतिषी होता है।
2. शनि नवम एवं लग्न में राहु स्थित हो तो भी जातक अध्यात्म में रुचि रखता है।
3. सूर्य व बुध पांचवे धनु राशि में हो, गुरु लग्न में एवं शनि एकादश में हो तो जातक अध्यात्म में गहरी रुचि रखता है।
4. गुरु दूसरे, पांचवे व नौवें भाव के साथ सम्बन्ध बनाए तो जातक की अध्यात्म में गहरी रुचि रहती है।
5. नवमेश नवम में, मंगल दसवें एवं बुध पांचवे भाव में हो तो जातक अध्यात्म में रुचि रखता है।
2. पंचमेश व दशमेश का शुक्र से सम्बन्ध हो तो जातक की इस क्षेत्र में रुचि रहती है।
3. दशम, चतुर्थ एवं एकादश से शुक्र व राहु का सम्बन्ध हो तो जातक इस क्षेत्र में सफल रहता है।
2. दशम भाव से शनि का सम्बन्ध हो एवं पंचमेश या पंचम से भी सम्बन्ध बनाता हो तो इस क्षेत्र में विशेष सफलता मिलती है। साथ में बुध भी बली हो तो विशेष सफलता मिलती है।
2. पहले, पांचवें व दसवें भाव से शनि, मंगल, चन्द्र का सम्बन्ध हो एवं इन भावों में कर्क, वृश्चिक व मीन का सम्बन्ध किसी भ्ी प्रकार से हो तो जातक इस क्षेत्र में विशेष उन्नति करता है।
2. गुरु, केतु एवं शुक्र ग्रह का पहले, पांचवे एवं दसवें से किसी भी प्रकार से सम्बन्ध हो या ये ग्रह परस्पर सम्बन्ध बनाकर इन भावों से जुड़ते हों तो जातक इस क्षेत्र में विशेष सफलता अर्जित करता है।
2. पंचमेश व दशमेश का मंगल, बुध व शनि से सम्बन्ध हो तो जातक इस क्षेत्र में विशेष सफलता अर्जित करता है।
शिक्षा के क्षेत्र का चयन करने के अन्य योगों की चर्चा अगले अंक में करेंगे जिससे आप नए विद्यार्थियों की कुण्डली देखकर उन्हें उचित सलाह दे सकें।(क्रमशः)
(यह लेख डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' की नई पुस्तक 'ज्योतिष और शिक्षा विचार' पुस्तक का एक अंश है! शीघ्र यह पुस्तक ई-बुक के रूप में पाठकों के लिए उपलब्ध होगी! प्रतीक्षा करें! तब तक इस पुस्तक के अंश एक सीरीज के रूप में ज्योतिष निकेतन पर पढ़ते रहें। प्रतिदिन आकर लेख पढ़ना न भूलें वरना अनमोल ज्ञान से वंचित रह जाएंगे!)
ज्योतिषी बनने के योग
1. चन्द्र चौथे, गुरु ग्यारहवें एवं शुक्र केन्द्र में स्वराशि में स्थित हो तो जातक ज्योतिष में गहन रुचि रखता है और ज्योतिषी बनता है।2. बुध दशमेश होकर लग्न में हो या दशमेश से सम्बन्ध रखता हो और गुरु की केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो या इन पर दृष्टि डाले तो जातक की ज्योतिषी होता है।
3. धनु, मिथुन या कन्या लग्न हो और लग्न में गुरु हो और बुध दसवें भाव से दृष्टि सम्बन्ध बनाये तो जातक ज्योतिषी होकर इस क्षेत्र में धन व यश अर्जित करता है।
4. बुध चौथे, गुरु दसवें हो तो जातक ज्योतिषी होता है।
5. शुक्र पांचवे एवं गुरु दूसरे भाव में हो तो जातक ज्योतिषी होता है।
अध्यात्म गुरु या अध्यात्म में रुचि रखने के योग
1. पंचमेश विंशाश कुंडली में नवम भाव में स्थित हो तो जातक अध्यात्म रुचि रखता है।2. शनि नवम एवं लग्न में राहु स्थित हो तो भी जातक अध्यात्म में रुचि रखता है।
3. सूर्य व बुध पांचवे धनु राशि में हो, गुरु लग्न में एवं शनि एकादश में हो तो जातक अध्यात्म में गहरी रुचि रखता है।
4. गुरु दूसरे, पांचवे व नौवें भाव के साथ सम्बन्ध बनाए तो जातक की अध्यात्म में गहरी रुचि रहती है।
5. नवमेश नवम में, मंगल दसवें एवं बुध पांचवे भाव में हो तो जातक अध्यात्म में रुचि रखता है।
होटल मैनेजमैन्ट
1. दूसरे, चौथे एवं दशम भाव का सम्बन्ध शुक्र से हो तो जातक होटल मैनेजमैन्ट में सफल होता है।2. पंचमेश व दशमेश का शुक्र से सम्बन्ध हो तो जातक की इस क्षेत्र में रुचि रहती है।
3. दशम, चतुर्थ एवं एकादश से शुक्र व राहु का सम्बन्ध हो तो जातक इस क्षेत्र में सफल रहता है।
मैकैनिकल इंजीनियर बनने के योग
1. पंचम व पंचमेश एवं दशम व दशमेश का सम्बन्ध सूर्य, शनि एवं बुध से हो तो जातक इस क्षेत्र में विशेष सफलता पाता है।2. दशम भाव से शनि का सम्बन्ध हो एवं पंचमेश या पंचम से भी सम्बन्ध बनाता हो तो इस क्षेत्र में विशेष सफलता मिलती है। साथ में बुध भी बली हो तो विशेष सफलता मिलती है।
रसायनशास्त्र में सफलता के योग
1. कर्क, वृश्चिक व मीन राशि का पंचम व दशम भाव से सम्बन्ध हो एवं चन्द्र व मंगल ग्रह इन भावों से सम्बन्ध बनाते हों तो इस क्षेत्र में विशेष सफलता मिलती है। 2. पहले, पांचवें व दसवें भाव से शनि, मंगल, चन्द्र का सम्बन्ध हो एवं इन भावों में कर्क, वृश्चिक व मीन का सम्बन्ध किसी भ्ी प्रकार से हो तो जातक इस क्षेत्र में विशेष उन्नति करता है।
वनस्पति व जीवविज्ञान में सफलता के योग
1. गुरु पहले, केतु पांचवे एवं शुक्र दसवें हो तो जातक की रुचि वनस्पति विज्ञान में रहती है। 2. गुरु, केतु एवं शुक्र ग्रह का पहले, पांचवे एवं दसवें से किसी भी प्रकार से सम्बन्ध हो या ये ग्रह परस्पर सम्बन्ध बनाकर इन भावों से जुड़ते हों तो जातक इस क्षेत्र में विशेष सफलता अर्जित करता है।
बॉयोटैक्नोलोजी में सफलता के योग
1. पांचवे या पंचमेश से मंगल, शनि व राहु का सम्बन्ध हो तो जातक इस क्षेत्र में विशेष सफलता पाता है। 2. पंचमेश व दशमेश का मंगल, बुध व शनि से सम्बन्ध हो तो जातक इस क्षेत्र में विशेष सफलता अर्जित करता है।
शिक्षा के क्षेत्र का चयन करने के अन्य योगों की चर्चा अगले अंक में करेंगे जिससे आप नए विद्यार्थियों की कुण्डली देखकर उन्हें उचित सलाह दे सकें।(क्रमशः)
(यह लेख डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' की नई पुस्तक 'ज्योतिष और शिक्षा विचार' पुस्तक का एक अंश है! शीघ्र यह पुस्तक ई-बुक के रूप में पाठकों के लिए उपलब्ध होगी! प्रतीक्षा करें! तब तक इस पुस्तक के अंश एक सीरीज के रूप में ज्योतिष निकेतन पर पढ़ते रहें। प्रतिदिन आकर लेख पढ़ना न भूलें वरना अनमोल ज्ञान से वंचित रह जाएंगे!)
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