शिक्षा का क्षेत्र कौन सा हो? (भाग-5)
>> Wednesday, February 23, 2011
हर काई शिक्षित होना चाहता है क्योकि शिक्षा के बिना कुछ भी नहीं है। यदि आप अशिक्षित हैं तो आपका जीवन व्यर्थ है। यदि काई अपनी सन्तान को शिक्षा नहीं दिला सकता है तो वह सबसे बड़ा पापी व अपराधी है। शिक्षा दिलाना सबसे बड़ा धर्म है। इससे बड़ा दान कोई नहीं होता है। आठवीं पास करने के बाद यह प्रश्न मन में आ जाता है कि मेरा शिक्षा का क्षेत्र कौन सा हो जिससे मैं सहजता संग शिक्षा पूर्ण करके सफल व्यक्ति बन सकूं। अब पूर्व लेख की चर्चा को आगे बढ़ाते हैं।
पूर्व लेख में इंजीनियर बनने के योग की चर्चा कर चुके हैं। उनको भी कुण्डली में देख लेना चाहिए। पहले, पांचवे, दसवें भाव एवं इनके स्वामियों का सम्बन्ध मंगल, शनि, राहु, केतु से किसी न किसी रूप में अवश्य होना चाहिए।
पूर्व लेख में इंजीनियर बनने के योग की चर्चा कर चुके हैं। उनको भी कुण्डली में देख लेना चाहिए। पहले, पांचवे, दसवें, चौथे भाव एवं इनके स्वामियों का सम्बन्ध सूर्य, बुध, मंगल, शनि, राहु, केतु से किसी न किसी रूप में अवश्य होना चाहिए।
पूर्व लेख में इंजीनियर बनने के योग की चर्चा कर चुके हैं। उनको भी कुण्डली में देख लेना चाहिए। पहले, चौथे, पांचवे, दसवें भाव एवं इनके स्वामियों का सम्बन्ध बुध, राहु, केतु से किसी न किसी रूप में अवश्य होना चाहिए।
यदि नवम एवं नवमेश भी इन भावों से संबंधित हो या बली हो तो इस क्षेत्र में विशेष रूप से धन एवं यश मिलता है।
2. यदि उक्त योग के अतिरिक्त सूर्य का विशेष रूप से इस पर दृष्टि या युति सम्बन्ध है तो इस क्षेत्र में विशेष सफलता मिलती है।
3. छठा भाव एवं छठे भाव का स्वामी या मकर राशि, मीन राशि का गुरु, मंगल या बुध से विशेष रूप से संबध होता है।
4. गुरु, मंगल, बुध का संबंध मकर राशि, मीन राशि या दशम, छठे, नौवें, लग्न से हो या वहां ये युत या परस्पर दृष्ट हों तो जातक वकालत के क्षेत्र में विशेष सफल रहता है।
5. यदि लग्नेश, पंचमेश, नवमेश एवं दशम भाव व एकादश भाव का परस्पर संबंध हो एवं अन्य राजयोग हो तो जातक जज बनकर न्याय करता है। यदि योगकारक ग्रहों की दशा भी मिल जाए तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की वकालत करता है या इन अदालतों में उच्च पदों पर आसीन होता है।
उक्त योगों के अतिरिक्त पंचम, नवम एवं दशम भाव व इनके स्वामी बली हैं और परस्पर दृष्ट हैं तो वकालत के क्षेत्र में उच्च शिक्षा के संग उच्च पद भी प्राप्त होता है।
शिक्षा के क्षेत्र का चयन करने के अन्य योगों की चर्चा अगले लेख में करेंगे जिससे आप नए विद्यार्थियों की कुण्डली देखकर उन्हें उचित सलाह दे सकें।(क्रमशः)
(यह लेख डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' की नई पुस्तक 'ज्योतिष और शिक्षा विचार' पुस्तक का एक अंश है! शीघ्र यह पुस्तक ई-बुक के रूप में पाठकों के लिए उपलब्ध होगी! प्रतीक्षा करें! तब तक इस पुस्तक के अंश एक सीरीज के रूप में खबर इंडिया पर पढ़ते रहें। प्रतिदिन आकर लेख पढ़ना न भूलें वरना अनमोल ज्ञान से वंचित रह जाएंगे!)
इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनने के योग
इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनने संबंधी शिक्षा पर विचार कर रहे हैं तो देखें कि दशम भाव या दशमेश का अग्नि तत्त्व राशियां मेष, सिंह एवं धनु राशि से अवश्य हो। पूर्व लेख में इंजीनियर बनने के योग की चर्चा कर चुके हैं। उनको भी कुण्डली में देख लेना चाहिए। पहले, पांचवे, दसवें भाव एवं इनके स्वामियों का सम्बन्ध मंगल, शनि, राहु, केतु से किसी न किसी रूप में अवश्य होना चाहिए।
इलेक्ट्रोनिक इंजीनियर बनने के योग
इलेक्ट्रोनिक इंजीनियर बनने संबंधी शिक्षा पर विचार कर रहे हैं तो देखें कि दशम भाव या दशमेश का अग्नि तत्त्व राशियां मेष, सिंह एवं धनु राशि से अवश्य हो। इसमें विशेष रूप से बुध का विचार भी कर लेना चाहिए। पहले, पांचवे, दसवें एवं चौथे भाव या इनके स्वामियों का परस्पर संबंध अवश्य होता है। पूर्व लेख में इंजीनियर बनने के योग की चर्चा कर चुके हैं। उनको भी कुण्डली में देख लेना चाहिए। पहले, पांचवे, दसवें, चौथे भाव एवं इनके स्वामियों का सम्बन्ध सूर्य, बुध, मंगल, शनि, राहु, केतु से किसी न किसी रूप में अवश्य होना चाहिए।
कॅम्प्यूटर इंजीनियर बनने के योग
कॅम्प्यूटर इंजीनियर बनने संबंधी शिक्षा पर विचार कर रहे हैं तो देखें कि लग्न, लग्नेश, चतुर्थ, चतुर्थेश, पंचम, पंचमेश, दशम भाव या दशमेश का बुध एवं राहु से संबंध विशेष रूप से होता है। पूर्व लेख में इंजीनियर बनने के योग की चर्चा कर चुके हैं। उनको भी कुण्डली में देख लेना चाहिए। पहले, चौथे, पांचवे, दसवें भाव एवं इनके स्वामियों का सम्बन्ध बुध, राहु, केतु से किसी न किसी रूप में अवश्य होना चाहिए।
पत्रकारिता के क्षेत्र में सफल होने के योग
पत्रकारिता के क्षेत्रा में सफलता के लिए चतुर्थ भाव एवं चतुर्थेश का बली होना आवश्यक है। चन्द्र, बुध एवं गुरु का पहले, पांचवे, दसवें, चौथे से संबंध होना चाहिए। मीन एवं कन्या राशि का इन भावों से संबंध होना चाहिए। इस क्षेत्र की सफलता के लिए तीसरे भाव एवं तृतीयेश का भी इन भावों या चन्द्र, बुध, गुरु से सम्बन्ध होना चाहिए।यदि नवम एवं नवमेश भी इन भावों से संबंधित हो या बली हो तो इस क्षेत्र में विशेष रूप से धन एवं यश मिलता है।
वकालत के क्षेत्र में सफलता के योग
1. पांचवे, नौवे, दसवें, पहले भाव से गुरु व मंगल या गुरु व बुध की युति हो।2. यदि उक्त योग के अतिरिक्त सूर्य का विशेष रूप से इस पर दृष्टि या युति सम्बन्ध है तो इस क्षेत्र में विशेष सफलता मिलती है।
3. छठा भाव एवं छठे भाव का स्वामी या मकर राशि, मीन राशि का गुरु, मंगल या बुध से विशेष रूप से संबध होता है।
4. गुरु, मंगल, बुध का संबंध मकर राशि, मीन राशि या दशम, छठे, नौवें, लग्न से हो या वहां ये युत या परस्पर दृष्ट हों तो जातक वकालत के क्षेत्र में विशेष सफल रहता है।
5. यदि लग्नेश, पंचमेश, नवमेश एवं दशम भाव व एकादश भाव का परस्पर संबंध हो एवं अन्य राजयोग हो तो जातक जज बनकर न्याय करता है। यदि योगकारक ग्रहों की दशा भी मिल जाए तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की वकालत करता है या इन अदालतों में उच्च पदों पर आसीन होता है।
उक्त योगों के अतिरिक्त पंचम, नवम एवं दशम भाव व इनके स्वामी बली हैं और परस्पर दृष्ट हैं तो वकालत के क्षेत्र में उच्च शिक्षा के संग उच्च पद भी प्राप्त होता है।
शिक्षा के क्षेत्र का चयन करने के अन्य योगों की चर्चा अगले लेख में करेंगे जिससे आप नए विद्यार्थियों की कुण्डली देखकर उन्हें उचित सलाह दे सकें।(क्रमशः)
(यह लेख डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' की नई पुस्तक 'ज्योतिष और शिक्षा विचार' पुस्तक का एक अंश है! शीघ्र यह पुस्तक ई-बुक के रूप में पाठकों के लिए उपलब्ध होगी! प्रतीक्षा करें! तब तक इस पुस्तक के अंश एक सीरीज के रूप में खबर इंडिया पर पढ़ते रहें। प्रतिदिन आकर लेख पढ़ना न भूलें वरना अनमोल ज्ञान से वंचित रह जाएंगे!)
1 comments:
शिक्षा से सम्बंधित विभिन्न योगों का क्रमवार विवरण देकर आप ज्योतिष जिज्ञासुओं की ज्ञान-पिपासा को शांत करने का जो भगीरथ प्रयत्न कर रहे हैं वह सराहनीय है। पिछले लेखों की तरह यह लेख भी ज्ञानवर्द्धक है। अगले लेख की प्रतीक्षा में...
गोपाल
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