शिक्षा का क्षेत्र कौन सा हो? (भाग-6)
>> Thursday, February 24, 2011
हर काई शिक्षित होना चाहता है क्योकि शिक्षा के बिना कुछ भी नहीं है। यदि आप अशिक्षित हैं तो आपका जीवन व्यर्थ है। यदि काई अपनी सन्तान को शिक्षा नहीं दिला सकता है तो वह सबसे बड़ा पापी व अपराधी है। शिक्षा दिलाना सबसे बड़ा धर्म है। इससे बड़ा दान कोई नहीं होता है। आठवीं पास करने के बाद यह प्रश्न मन में आ जाता है कि मेरा शिक्षा का क्षेत्र कौन सा हो जिससे मैं सहजता संग शिक्षा पूर्ण करके सफल व्यक्ति बन सकूं। अब पूर्व लेख की चर्चा को आगे बढ़ाते हैं।
सूर्य बली हो एवं उसका दशम व दशमेश से भी सम्बन्ध हो तो यह योग भी उत्तम है।
बुध निर्बल होने से सूर्य का बल बढ़ जाता है। अतः बुध का पंचम, पंचमेश, दशम या दशमेश से सम्बन्ध न हो तो अच्छी बात है।
पंचम में शनि, मंगल व राहु हो और द्वितीयेश से मंगल का सम्बन्ध हो तो जातक दलितों की सहायता से विख्यात राजनीतिज्ञ बनता है।
गुरु व सूर्य दूसरे भाव में एवं पंचम भाव में राहु व शनि हो तथा मंगल आठवें हो या अष्टमेश से सम्बन्ध करे तो जातक अच्छा राजनीतिज्ञ बनता है।
ये नवांश कुण्डली में भी बली होने चाहिएं।
यदि पंचम भाव एवं पंचमेश का संबंध दशम भाव या दशमेश से हो तो जातक अपनी प्राप्त शिक्षा का उपयोग आजीविका अर्जित करने में करता है।
राहु का सम्बन्ध पंचम, पंचमेश, द्वितीय व द्वितीयेश से हो सकता है।
शिक्षा के कारक ग्रह नीच या अस्त हो सकते हैं।
उक्त योग होने पर शिक्षा के क्षेत्रा में बाधा आ सकती है।
आपको सरस्वती के चित्र के सम्मुख अधोलिखित मन्त्र का पूर्वाभिमुख या ईशान मुख होकर तीन माला प्रतिदिन जाप बिना नागा करना चाहिए। मन्त्र इस प्रकार है-ऊँ ऐं ह्रीं ऊँ ऐं सरसवत्यै नमः
यदि आपको यह मन्त्र कठिन लगता है तो आप अधोलिखित मन्त्र का जाप भी कर सकते हैं, मन्त्रा इस प्रकार है-ऊँ ऐं ह्रीं ऊँ ऐं वाग्देव्यै नमः
आप विनविनाशक गणेश जी के मन्त्र का भी जाप विद्या की बाधाएं दूर करने के लिए कर सकते हैं, इसका मन्त्र इस प्रकार है-ऊँ गं महागणपतयै नमः
गणेश जी की कृपा हो जाने से भी शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।
यदि आप धन की अल्पता के कारण शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं तो आपको प्रतिदिन विष्णु जी के समक्ष नीचे लिखे मन्त्र की तीन माला करनी चाहिए-ऊँ नमो विष्णुवे नमः
आप मित्रों, परिचितों एवं स्वजनों के बच्चों की कुण्डली में इन योगों का विश्लेषण करके कैरियर के लिए शिक्षा का क्षेत्र चयन कर सकते हैं। अधिकाधिक कुण्डली देखने पर आप अभ्यस्त हो जाएंगे और आसानी से कुण्डली देखकर शिक्षा के क्षेत्र का चयन आसानी से कर सकेंगे एवं धन, यश एवं सम्मान पाएंगे।
(यह लेख डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' की नई पुस्तक 'ज्योतिष और शिक्षा विचार' पुस्तक का एक अंश है! शीघ्र यह पुस्तक ई-बुक के रूप में पाठकों के लिए उपलब्ध होगी! प्रतीक्षा करें!)
राजनीति के क्षेत्र में सफल बनने के योग
राजनीति के क्षेत्र में सफल होने के लिए सूर्य पंचम व पंचमेश से सम्बन्ध अवश्य होना चाहिए। सूर्य बली हो एवं उसका दशम व दशमेश से भी सम्बन्ध हो तो यह योग भी उत्तम है।
बुध निर्बल होने से सूर्य का बल बढ़ जाता है। अतः बुध का पंचम, पंचमेश, दशम या दशमेश से सम्बन्ध न हो तो अच्छी बात है।
पंचम में शनि, मंगल व राहु हो और द्वितीयेश से मंगल का सम्बन्ध हो तो जातक दलितों की सहायता से विख्यात राजनीतिज्ञ बनता है।
गुरु व सूर्य दूसरे भाव में एवं पंचम भाव में राहु व शनि हो तथा मंगल आठवें हो या अष्टमेश से सम्बन्ध करे तो जातक अच्छा राजनीतिज्ञ बनता है।
उच्च शिक्षा प्राप्ति
पंचम व पंचमेश का जिस ग्रह से विशेष सम्बन्ध होता है तो जातक उसी क्षेत्र की उच्च शिक्षा ग्रहण करता है। उच्च शिक्षा के लिए पंचम भाव व पंचमेश का बली होना आवश्यक है। ये नवांश कुण्डली में भी बली होने चाहिएं।
यदि पंचम भाव एवं पंचमेश का संबंध दशम भाव या दशमेश से हो तो जातक अपनी प्राप्त शिक्षा का उपयोग आजीविका अर्जित करने में करता है।
शिक्षा बाधा आने पर क्या करें?
यदि आपकी शिक्षा में अत्यधिक बाधा आ रही हैं तो आपका पंचम भाव या पंचमेश का सम्बन्ध पापग्रहों से हो सकता है अथवा ये निर्बल हो सकते हैं।राहु का सम्बन्ध पंचम, पंचमेश, द्वितीय व द्वितीयेश से हो सकता है।
शिक्षा के कारक ग्रह नीच या अस्त हो सकते हैं।
उक्त योग होने पर शिक्षा के क्षेत्रा में बाधा आ सकती है।
आपको सरस्वती के चित्र के सम्मुख अधोलिखित मन्त्र का पूर्वाभिमुख या ईशान मुख होकर तीन माला प्रतिदिन जाप बिना नागा करना चाहिए। मन्त्र इस प्रकार है-ऊँ ऐं ह्रीं ऊँ ऐं सरसवत्यै नमः
यदि आपको यह मन्त्र कठिन लगता है तो आप अधोलिखित मन्त्र का जाप भी कर सकते हैं, मन्त्रा इस प्रकार है-ऊँ ऐं ह्रीं ऊँ ऐं वाग्देव्यै नमः
आप विनविनाशक गणेश जी के मन्त्र का भी जाप विद्या की बाधाएं दूर करने के लिए कर सकते हैं, इसका मन्त्र इस प्रकार है-ऊँ गं महागणपतयै नमः
गणेश जी की कृपा हो जाने से भी शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।
यदि आप धन की अल्पता के कारण शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं तो आपको प्रतिदिन विष्णु जी के समक्ष नीचे लिखे मन्त्र की तीन माला करनी चाहिए-ऊँ नमो विष्णुवे नमः
आप मित्रों, परिचितों एवं स्वजनों के बच्चों की कुण्डली में इन योगों का विश्लेषण करके कैरियर के लिए शिक्षा का क्षेत्र चयन कर सकते हैं। अधिकाधिक कुण्डली देखने पर आप अभ्यस्त हो जाएंगे और आसानी से कुण्डली देखकर शिक्षा के क्षेत्र का चयन आसानी से कर सकेंगे एवं धन, यश एवं सम्मान पाएंगे।
(यह लेख डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर' की नई पुस्तक 'ज्योतिष और शिक्षा विचार' पुस्तक का एक अंश है! शीघ्र यह पुस्तक ई-बुक के रूप में पाठकों के लिए उपलब्ध होगी! प्रतीक्षा करें!)
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