भाग्य किए कर्मों का परिणाम है!(भाग-3)
>> Saturday, April 2, 2011
आपके बहन से अच्छे सम्बन्ध न हों, आप बहिन को तंग करते हों या उसे तंग किया हो या अत्याचार किया हो या धोखा दिया हो, छोटे बालकों को तंग किया हो या उन्हें बेचा हो तो बहिन का ऋण होता है। यदि यह हो तो आर्थिक तंगी रहती है, लड़के का जन्म हो या लड़की का परेशानियां पीछा ही नहीं छोड़ेंगी। 48 वर्ष तक जीवन में संघर्ष करना पड़े और फिर जीने का मन ही न करे। ससुराल, ननिहाल एवं सहयोगी दूर तक न दिखाई देंगे। यदि आपके साथ भी ऐसा है तो आप इस ऋण से मुक्ति पाकर ही आप उक्त कष्टों से मुक्त हो सकेंगे। कुण्डली में तीसरा व छठा भाव में चन्द्र हो, राहु या केतु हो या ये अशुभ हो तो यह ऋण अवश्य होगा। बहिन की सेवा करके, उससे अच्छे सम्बन्ध बनाकर एवं उसकी सेवा करने से, उनकी देखभाल करके और उनका सम्मान करके इस दोष से मुक्त हो सकते हैं। बुध या दुर्गा उपासना करने से भी लाभ होता है। कुटुम्ब के प्रत्येक सदस्य बराबर भाग में रुपए लेकर उसकी पीले रंग की कौडि़यां लेकर जलाकर उसकी राख बहते पानी में बहाने पर इस ऋण से मुक्ति मिलती है।
यदि आपने पीपल कटवाए हों, धर्मस्थल तुड़वाए हों, कुल पुरोहित बदला हो तो यह ऋण कुण्डली में अवश्य होता है। कुण्डली में दूसरे, पांचवे, नौवें व बारहवें भाव में शुक्र, बुध व राहु हो या सूर्य राहु की युति हो या परस्पर दृष्ट हों या दसवें नौवें इनकी युति या पाप ग्रह हों तो पितृ ऋण होता है। इसके होने पर जब तक बाल सफेद नहीं होते तब तक सम्पन्नता रहती है, कार्यबाधा, निराशा, मानहानि, आर्थिक रूप से तबाही आ जाती है। यदि आपके साथ भी ऐसा है तो आप इस ऋण से मुक्ति पाकर ही आप उक्त कष्टों से मुक्त हो सकेंगे। गुरु उपासना या ब्रह्मा जी की उपासना करें, बुजुर्गों का सम्मान व देखभाल व सेवा करें। कुटुम्ब के प्रत्येक सदस्य से धन लेकर घर के समीप के मंदिर में दान करें। घर के सबसे समीप के पीपल की सेवा करें तो भी इस दोष से मुक्ति मिलती है।
शेष ऋणों की चर्चा कल करेंगे। (क्रमश:)
यदि आपने पीपल कटवाए हों, धर्मस्थल तुड़वाए हों, कुल पुरोहित बदला हो तो यह ऋण कुण्डली में अवश्य होता है। कुण्डली में दूसरे, पांचवे, नौवें व बारहवें भाव में शुक्र, बुध व राहु हो या सूर्य राहु की युति हो या परस्पर दृष्ट हों या दसवें नौवें इनकी युति या पाप ग्रह हों तो पितृ ऋण होता है। इसके होने पर जब तक बाल सफेद नहीं होते तब तक सम्पन्नता रहती है, कार्यबाधा, निराशा, मानहानि, आर्थिक रूप से तबाही आ जाती है। यदि आपके साथ भी ऐसा है तो आप इस ऋण से मुक्ति पाकर ही आप उक्त कष्टों से मुक्त हो सकेंगे। गुरु उपासना या ब्रह्मा जी की उपासना करें, बुजुर्गों का सम्मान व देखभाल व सेवा करें। कुटुम्ब के प्रत्येक सदस्य से धन लेकर घर के समीप के मंदिर में दान करें। घर के सबसे समीप के पीपल की सेवा करें तो भी इस दोष से मुक्ति मिलती है।
शेष ऋणों की चर्चा कल करेंगे। (क्रमश:)
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