भाग्य किए कर्मों का परिणाम है!(भाग-4)
>> Sunday, April 3, 2011
यदि आपने गर्भवती स्त्री को सताया हो, पत्नी संग मारपीट की हो, घर में मांगलिक कार्य हो और संबंधी के यहां अर्थी उठे तो स्त्री ऋण होता है। इस ऋण के होने पर सुख में दु:ख और प्रत्येक ने आंसू बहाए हों, विवाह पर दु:ख आ जाता है या मांगलिक कार्यों में क्लेश या परेशानी य मौत हो जाती है। यदि कुण्डली में सातवां भाव निर्बल हो और उसमें सूर्य, राहु व चन्द्र या पापग्रह स्थित हों तो भी यह ऋण होता है। यदि ऐसा है तो आप कुटुम्ब के सभी सदस्यों से धन एकत्र करके सौ गायों को भोजन कराएं। कुटुम्ब में महिलाओं का सम्मान करें, पत्नी को बेबात न सताएं। लक्ष्मी की उपासना करें।
यदि आपने जीव हत्या की हो, किसी का घर या सम्पत्ति धोखे से ले ली हो और उसका मूल्य न चुकाया हो, निस्संतान से भूमि क्रय करके भवन बनाया हो, घर का मुख्य मार्ग दक्षिण में हो, कुएं की छत पर भवन बनाया हो तब यह निर्दयी ऋण होता है। यदि यह ऋण हो तो कार्यस्थल पर आग लग जाती है और बुझाने का प्रबन्ध नहीं हो पाता है, जलने वालों को अस्पताल पहुंचाने का भी साधन न मिले, भवन बनाते समय वर्षा लगातार हो और रुके नहीं, ससुराल और बच्चों को पुलिस तंग करे, योग्य सन्तान भी अयोग्य सिद्ध हो जाए, घर में लोग चैन की नींद न सो पाएं, कुटुम्ब के सदस्य कम होते जाते हैं। दसवें, ग्यारहवें भाव में सूर्य, चन्द्र व मंगलवार हो या इसमें राहु या केतु या पापग्रह हों तो यह ऋण होता है। इससे मुक्ति पाने का उपाय यह है कि कुटुम्ब के प्रत्येक सदस्य से धन लेकर एक दिन में सौ मजदूरों को भोजन कराएं या सौ स्थानों की मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। भैरों जी की उपासना या शनि उपासना करें। शेष ऋणों की चर्चा कल करेंगे। (क्रमश:)
यदि आपने जीव हत्या की हो, किसी का घर या सम्पत्ति धोखे से ले ली हो और उसका मूल्य न चुकाया हो, निस्संतान से भूमि क्रय करके भवन बनाया हो, घर का मुख्य मार्ग दक्षिण में हो, कुएं की छत पर भवन बनाया हो तब यह निर्दयी ऋण होता है। यदि यह ऋण हो तो कार्यस्थल पर आग लग जाती है और बुझाने का प्रबन्ध नहीं हो पाता है, जलने वालों को अस्पताल पहुंचाने का भी साधन न मिले, भवन बनाते समय वर्षा लगातार हो और रुके नहीं, ससुराल और बच्चों को पुलिस तंग करे, योग्य सन्तान भी अयोग्य सिद्ध हो जाए, घर में लोग चैन की नींद न सो पाएं, कुटुम्ब के सदस्य कम होते जाते हैं। दसवें, ग्यारहवें भाव में सूर्य, चन्द्र व मंगलवार हो या इसमें राहु या केतु या पापग्रह हों तो यह ऋण होता है। इससे मुक्ति पाने का उपाय यह है कि कुटुम्ब के प्रत्येक सदस्य से धन लेकर एक दिन में सौ मजदूरों को भोजन कराएं या सौ स्थानों की मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। भैरों जी की उपासना या शनि उपासना करें। शेष ऋणों की चर्चा कल करेंगे। (क्रमश:)


1 comments:
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