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नवसंवत्‍सर एवं नवरात्र शुभ हों!

>> Monday, April 4, 2011

ज्‍योतिष निकेतन टीम की ओर से नवसंवत्सर सहित नवरात्र शुभ हों!
4 अप्रैल 2011 से नव संवत्सर 2068 का प्रारम्भ हो गया है। आज के दिन से आस्था के नौ दिन नवरात्र प्रारम्भ होता है। नवसंवत्सर के आगमन और उसके स्वागत्‌ की तैयारी सब करने लगते हैं। इस विक्रम संवत 2068 का राजा चन्द्र है और मन्त्री गुरु है। संवत्सर शुभ है, सौख्य बढ़े, अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा, सत्ता पक्ष प्रजा के बारे में सोचेगा और नई योजनाएं लाएगा। सस्येश शनि होने के कारण सीमा विवाद बढ़ सकता है, राजा व प्रजा में विग्रह हो, रोग बढ़ेंगे, मंहगाई व दुष्टजनों का प्रभाव      बढ़ेगा। धान्येश शुक्र होने से वर्षा सामान्य व फसल कम हो, दूध व अन्नादि कम होने से महंगाई हो। मेघेश बुध वर्षा की कमी को दूर करेगा। जनता में सुख व शान्ति बढ़ेगी। नीरसेश व धनेश शनि है, दुर्गेश बुध है। रसेश चन्द्र है! नए संवत्सर में क्रोधी नामक संवत्सर है। वर्षनाम अश्विन, मेघ नाम द्रौण, रोहिणी निवास समुद्र है, समय निवास माली के घर में है। द्रोण मेघ के कारण कहीं न कहीं वर्षा होती रहेगी। समय निवास माली के घर में है इसलिए मंदी होने की संभावना बनती है। रोहिणी समुद्र में होने के कारण वर्षा अधिक होने से कुछ जगह पर बाढ़ से जनधन हानि के समाचार मिल सकते हैं। आश्विन नामक वर्ष होने से वर्ष में अनुकूलता रहे, थोड़ी बहुत जनधनहानि एवं प्राकृतिक प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है। ज्‍योतिष निकेतन मेरठ की टीम की ओर से आप सबको नव संवत्सर के साथ-साथ आस्था के नौ दिन नवरात्र शुभ हो। आपका जीवन नव संवत्सर में सुख-समृद्धि के पुष्पों से महके!

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