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भाग्‍य किए कर्मों का परिणाम है!(भाग-5)

>> Tuesday, April 5, 2011


   
    यदि अचानक आग लग जाए या धोखे से धनहानि हो, सही करने या सोच कर करने पर भी हानि हो, कुटम्‍बी परेशान रहें, मुकदमे में हार हो, निर्दोष होते हुए भी जेल या दण्‍ड देना पड़े, कुटुम्‍ब कोई युवावस्‍था में ही बीमारी या चोट के कारण बूढ़ा लगने लगे, बच्‍चे सुन्‍दर होते हुए भी रोगी हों तो समझ लें कि आप अजन्‍मे ऋण से परेशान हैं। ससुराल से धोखा मिले या सम्‍बन्धियों द्वारा विश्‍वासघात हो कि सब कुछ तबाह हो जाए तो भी यह ऋण होता है। आपकी कुण्‍डली में द्वादश भाव में सूर्य, शुक्र व मंगल हो या पापग्रह राहु या केतु हों या ये सूर्य, शुक्र या मंगल के साथ युति करे तो आप इस अजन्‍मे ऋण से परेशान होंगे। लाल टाट की मोटे सौंफ की थैली तकिए में रखें और उस तकिए को सिर के नीचे रखें। कुटुम्‍ब में जहां तक रक्‍त का सम्‍बन्‍ध हो वहां तक प्रत्‍येक सदस्‍य से धन एकत्र करके उतने नारियल लें जितने सदस्‍यों से धन लिया है और फिर एक ही दिन वे सभी नारियल बहते पानी में बहा दें।
    यदि आपने दूजे की पुत्रों को मरवाया हो, कुत्तों को मरवाया हो, लालचवश दूजे के कुल को नष्‍ट किया हो या कराया हो। तब कुल में लड़का हो पर बीमार हो, कुटम्‍ब बचे तो माया नष्‍ट हो जाए, जमा पूंजी यात्राओं में नष्‍ट हो जाए और जिस पर विश्‍वास करें वही धोखा दे जाए तो समझ लें कि आप ईश्‍वरीय ऋण से परेशान हैं। कुण्‍डली में छठे भाव में चन्‍द्र व मंगल हो या राहु या केतु हों या वे चन्‍द्र व मंगल के साथ युति करें तो भी यह ऋण आपके साथ होता है। उपाय यह है कि कुटम्‍ब के सदस्‍यों से धन एकत्र करके एक ही दिन उस धन से सौ कुत्तों को भोजन कराएं। जेब में कांच की गोली रखें एवं अपने घर के पड़ोसी महिला व पुरुष बुजुर्गों से आशीर्वाद लेने पर भी यह ऋण दूर हो जाता है। शमशान या कब्रिस्‍तान या पड़ोस की किसी भट्टी के पास घर न बनाएं।
    पूर्व में कहे ऋणों के अनुरूप आपको अपने साथ घटित हुआ जान पड़े तो उस ऋण से संबंधित उपायों को करने से आप अपने कर्मों को सुधार कर सौभाग्‍यशली बन सकते हैं। करकर देखें और लाभ हो जाए तो ईश्‍वर को धन्‍यवाद दें और सदैव अपनी गलतियों की उससे माफी मांगते रहें।

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