व्यापार में उन्नति चाहते हैं तो करके देखें
>> Wednesday, April 13, 2011
व्यापार में अवनति व हानि होती है तो मन परेशान रहने लगता है। व्यापारिक उन्नति कौन नहीं चाहता है। सभी चाहते हैं। आप भी व्यापारिक उन्नति चाहते हैं तो इस प्रयोग को करके देखें-
प्रत्येक मास की शुक्लपक्ष की नवमी से यह प्रयोग प्रारम्भ करके पूर्णिमा तक नित्य करना है।
कोई नागा नहीं होनी चाहिए।
नवमी को सात्त्विक मन से दूध और चावल की खीर पकाएं।
इस खीर को घर के किसी ऐसे स्थान पर सायंकाल में ही रख दें जहां चन्द्र रश्चिमयां पड़ती हों। खीर के पात्र के दायीं ओर एक आटे का दीपक जला दें। यदि सामर्थ्य हो तो शुद्ध देशी घी का ही प्रयोग करे। घी इतना डालें कि दीपक लगभग छह घंटे तक जलता रहे।
लक्ष्मी के किसी मन्त्र की दस माला वहीं आसन पर बैठकर कर लें।
जाप करते समय मुख उत्तर या पूर्व या ईशान की ओर होना चाहिए।
रात्रि दस बजे के उपरान्त खीर परिवार के सभी सदस्यों में बांट दें। इस प्रकार प्रतिदिन करें।
अन्तिम दिन अर्थात् पूर्णिमा को खीर का प्रसाद लेने के बाद यथाशक्ति वस्तुओं जैसे चावल, कर्पूर, मोती, सफेद वस्त्र, चांदी, बूरा, मिश्री आदि दरिद्रों में बांट दें। सामर्थ्य न हो तो पांच-दस सिक्के दान कर दें।
यह पांच माह तक अवश्यक करें। ऐसा करने से व्यापार में उन्नति प्रारम्भ होने लगेगी।
प्रत्येक मास की शुक्लपक्ष की नवमी से यह प्रयोग प्रारम्भ करके पूर्णिमा तक नित्य करना है।
कोई नागा नहीं होनी चाहिए।
नवमी को सात्त्विक मन से दूध और चावल की खीर पकाएं।
इस खीर को घर के किसी ऐसे स्थान पर सायंकाल में ही रख दें जहां चन्द्र रश्चिमयां पड़ती हों। खीर के पात्र के दायीं ओर एक आटे का दीपक जला दें। यदि सामर्थ्य हो तो शुद्ध देशी घी का ही प्रयोग करे। घी इतना डालें कि दीपक लगभग छह घंटे तक जलता रहे।
लक्ष्मी के किसी मन्त्र की दस माला वहीं आसन पर बैठकर कर लें।
जाप करते समय मुख उत्तर या पूर्व या ईशान की ओर होना चाहिए।
रात्रि दस बजे के उपरान्त खीर परिवार के सभी सदस्यों में बांट दें। इस प्रकार प्रतिदिन करें।
अन्तिम दिन अर्थात् पूर्णिमा को खीर का प्रसाद लेने के बाद यथाशक्ति वस्तुओं जैसे चावल, कर्पूर, मोती, सफेद वस्त्र, चांदी, बूरा, मिश्री आदि दरिद्रों में बांट दें। सामर्थ्य न हो तो पांच-दस सिक्के दान कर दें।
यह पांच माह तक अवश्यक करें। ऐसा करने से व्यापार में उन्नति प्रारम्भ होने लगेगी।
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