सच्ची साधना
>> Tuesday, April 19, 2011
एक व्यक्ति के दार्शनिक अरस्तु के पास पहुंचा और उनसे ब्रह्मज्ञान की दीक्षा मांगने लगा।
दार्शनिक अरस्तु ने उस व्यक्ति को ऊपर से नीचे तक देखा और पास बिठाकर बोले-÷नित्य कपड़े धोकर साफ ही पहनना, बालों को भी धोकर साफ रखना और संभालना। यह रोज करो। देखो! गलतियां सुधारते चलने का सिलसिला ही सच्ची साधना कहलाता है और परमात्मा तक पहुंचाता है।'
व्यक्ति ने उनकी सीख को समझा और उसी दिन से अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास करने लगा।
यह जान लें जब व्यक्ति अपने दोषों को दूर करके सदाचार से जीवनयापन करने लगता है तो एक दिन वह परमात्मा के दर्शन कर लेता है। ऐसा इसलिए होता है कि उसे विकार छू ही नहीं पाते हैं क्योंकि वह गलतियां सुधारने के क्रम में दोष मुक्त जो हो गया है और अब विकार पास आने से भी डरते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति को सच्ची साधना के लिए सर्वप्रथम स्वयं में परिवर्तन लाना चाहिए। जब जीवन सदाचार से परिपूर्ण होगा और गलतियां होंगी ही नहीं तो परमात्मा के दर्शन अवश्य होंगे।
दार्शनिक अरस्तु ने उस व्यक्ति को ऊपर से नीचे तक देखा और पास बिठाकर बोले-÷नित्य कपड़े धोकर साफ ही पहनना, बालों को भी धोकर साफ रखना और संभालना। यह रोज करो। देखो! गलतियां सुधारते चलने का सिलसिला ही सच्ची साधना कहलाता है और परमात्मा तक पहुंचाता है।'
व्यक्ति ने उनकी सीख को समझा और उसी दिन से अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास करने लगा।
यह जान लें जब व्यक्ति अपने दोषों को दूर करके सदाचार से जीवनयापन करने लगता है तो एक दिन वह परमात्मा के दर्शन कर लेता है। ऐसा इसलिए होता है कि उसे विकार छू ही नहीं पाते हैं क्योंकि वह गलतियां सुधारने के क्रम में दोष मुक्त जो हो गया है और अब विकार पास आने से भी डरते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति को सच्ची साधना के लिए सर्वप्रथम स्वयं में परिवर्तन लाना चाहिए। जब जीवन सदाचार से परिपूर्ण होगा और गलतियां होंगी ही नहीं तो परमात्मा के दर्शन अवश्य होंगे।
0 comments:
Post a Comment