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जीओ तो महत्त्वाकांक्षा संग उसे पाने के लिए

>> Monday, April 25, 2011




        वर्ष यूं ही बीतते जाते हैं और आधा जीवन पार होने के बाद मन में प्रश्‍न कौंधता है कि ऐसा मैंने क्‍या किया जिस पर गर्व कर सकूं। वर्तमान में कुछ नहीं है और भविष्‍य भी अंधकारमय दिखाई देता है। मैं तो बस यूं ही लकीर का फकीर बना बैठा था। मुझे कुछ पता ही नहीं था कि मुझे क्‍या करना है, यदि पता होता तो मैं आज कहीं अधिक सुखी होता। ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्‍हें यह ज्ञात ही नहीं है कि उनके जीवन का ध्‍येय क्‍या है। जब ध्‍येय नहीं होता है तो जीवन की कोई निश्चित योजना हो ही नहीं सकती है।
    जब भी नए वर्ष का आगमन होता है, हम नई-नई प्रतिज्ञाएं अवश्‍य करते है, पर उनका पालन शायद ही कर पाते हैं। ये प्रतिज्ञाएं भावावेश में ली होती हैं, इसके पीछे कोई सोच-विचार नहीं होता है। सोच-विचार कर प्रतिज्ञा ली होती और एक निश्चित उद्देश्‍य के लिए ली होती और एक अच्‍छी योजना बनाई होती जिसमें उद्देश्‍य पूर्ति हेतु किए जाने वाले प्रत्‍येक बिन्‍दु की चर्चा स्‍पष्‍ट दी होती है।
    जब तक आप यह नहीं जानेंगे कि जीवन में आपने क्‍या करना है, जब यह जान जाएंगे तो आपको उस अभीष्‍ट को पाने के लिए सक्रिय हो जाना है। यदि आपमें अपने अभीष्‍ट को पाने का दृढ़ निश्‍चय है तो समझिए कि जीवन रोमांच से भरपूर है और आप सक्रिय हैं तो आपकी सफलता भी निश्चित है।
    आपका एक ध्‍येय और कार्य करने का निश्‍चय तो फिर आप अभीष्‍ट पा लेंगे क्‍योंकि अभीष्‍ट की प्राप्ति के लिए न तो आयु, न कोई व्‍याधि, न निर्धनता, न कोई अन्‍य बाधा आपको सफल होने से रोक सकती है।
    किसी भी दिन का कोई उद्देश्‍य बनाईए और उसकी प्राप्ति के लिए सक्रिय हो जाईए और उसे पूरा कीजिए। यह जान लें कि सोद्देश्‍य कार्य करने से रात्रि में आपको सुखद् अनुभूति होगी। रात्रि में अगले दिन का उद्देश्‍य निर्धारित कीजिए और फिर इसी तरह प्रत्‍येक दिन का उद्देश्‍य बनाईए। प्रत्‍येक छोटे-बड़े उद्देश्‍य जीवन के उद्देश्‍य के अनुरूप ही बनाने चाहिएं ताकि उसे पाया जा सके।
    जो कुछ हो रहा है या एक बहाव में बहते हुए कार्य करते जा रहे हैं। ऐसा न करें क्‍योंकि आप जीवन को जैसा बनाते हैं, वह वैसा ही बनता जाता है। आज का किया ही कल का दिशा बनाएगा। जैसा आप बोएंगे, वैसा ही काटेंगे। सही अर्थों में आपको अपनी शक्तियों को नियन्त्रित करके अपने लक्ष्‍य की प्राप्ति में लगाना है। उद्देश्‍य रहित जीवन जीने वाला ही कहता है कि मैं जीवन से उकता गया हूं। महत्त्वाकाक्षा रहित जीवन जीवन में सार्थकता नहीं है। जीओ तो महत्त्वाकांक्षा संग उसे पाने के लिए।

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