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सुखद् गृहस्थ जीवन हेतु आवश्यक है !

>> Thursday, September 8, 2016


     सुखद् गृहस्थ जीवन के लिए आवश्यक है कि दोनों अपना-अपना उत्‍तरदायित्व समझें। इसके लिए चार स्तम्भ अत्यन्त सुदृढ़ रखने चाहिएं, ये हैं-स्नेह, सहयोग, सम्मान एवं विश्वास। 
     वैसे भी स्नेह आत्मिक सम्पदा है। अपने स्वार्थों व अभिलाषाओं को दूसरे के हित में विसर्जित करना ही प्रेम है। दूसरे को बदल पाना कठिन है पर अपने आपको तो उसके अनुसार परिवर्तित किया जा सकता है।
     प्रेम का सुनिश्चित निर्वाह इसी आधार पर होता है। जीवनसाथी के कार्यों में हाथ बंटाना। जानबूझकर सहयोग देना। हाथ बढ़ाना ही सहयोग देने के लिए तत्पर होना है। ऐसा समूचे परिवार के साथ रखेंगे तो परस्पर सहयोग भावना सुदृढ़ ही होगी। छोटे-छोटे कार्यों में भी सहयोग देने से परस्पर सद्भावना  बढ़ती है।
     सम्मान से घनिष्ठता बढ़ती है। सम्मान करेंगे तो सम्मान ही मिलेगा-यह सत्य है। छोटा हो या बड़ा सम्मान देने से सम्मान ही मिलता है। अहं को त्याग कर सम्मान देना या लेना परस्पर अनुकूलता ही लाते हैं। थोड़ा सा सम्मान घनिष्ठता बढ़ाने में रामबाण की तरह कार्य करता है। विश्वास एक दूसरे के प्रति शंकाहीन होना चाहिए। निष्कपट विश्वास परस्पर सहयोग व घनिष्ठता लाता है।
     जब परस्पर स्नेह, सहयोग, सम्मान व विश्वास का भाव रहता है तो इसका परिणाम सुखद् गृहस्थ जीवन के रूप में ही प्राप्त होता है।

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